kabeer ne guru ki mahima aseem Kyu batai he
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कबीर को हम एक ऐसे संत के रूप में पहचानते हैं जिन्होंने हर धर्म, हर वर्ग के लिए अनमोल सीख दी है। प्रस्तुत है कबीर के गुरु के बारे में रचे गए दोहे :
गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम।
कीट ना जाने भ्रूंग को, गुरु करिले आप समान।।
इस साखी में गुरु को बार-बार प्रणाम करने के लिए कहा गया है, क्योंकि सद्गुरु ही शिष्य को अपने समान बना लेते हैं। जिस प्रकार कीड़ा भ्रूंगी (एक प्रकार की मक्खी) को नहीं पहचानता है, परंतु भ्रूंगी कीड़े को पकड़कर अपने समान बना लेता है इसलिए सद्गुरु को कोटि-कोटि प्रणाम है।
गुरु को कीजै दण्डवत, कोटि कोटि परनाम।
कीट ना जाने भ्रूंग को, गुरु करिले आप समान।।
इस साखी में गुरु को बार-बार प्रणाम करने के लिए कहा गया है, क्योंकि सद्गुरु ही शिष्य को अपने समान बना लेते हैं। जिस प्रकार कीड़ा भ्रूंगी (एक प्रकार की मक्खी) को नहीं पहचानता है, परंतु भ्रूंगी कीड़े को पकड़कर अपने समान बना लेता है इसलिए सद्गुरु को कोटि-कोटि प्रणाम है।
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