Hindi, asked by shikukumar587, 6 months ago

कभी की आंख फागुन किस उदारता से नहीं हट रही है कवि की आंख फागुन की सुंदरता से हट नहीं रही है इसका आंसर ​

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Answered by kumarsantosh04984
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Answer:

सूर्यकांत त्रिपाठी निराला - उत्साह कवि की आँख फागुन की सुंदरता से क्यों नहीं हट रही है? अज्ञात सत्ता रूपी कवि के प्रियतम प्रभु फागुन की सुंदरता के कण-कण में व्याप्त है। उनकी श्वास के द्वारा प्रकृति का कोना-कोना सुगंध से आपूरित था।

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