कभी कभी ह्रदय वह भी देख लेता जो आँख नहीं देख पाती 1000 शब्द
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ह्रदय !! एक अनमोल , अनोखा और ईश्वर का दिया हुआ अनमोल तोहफा है । पाँच ज्ञानेन्द्रियाँ आँख, नाक , मुँह , जीभ , त्वचा और लिंग हैं किन्तु ये सभी बेकार हैं यदि हमारे पास ह्रदय न हो ।
ह्रदय द्वारा कही गयी , सुनी गयी या फिर समझी हुई बातें का असत्य होना लगभग असंभव हैं । ये हमें प्रेम करना सिखाती है । विभिन्न प्रकार में भेद करना सिखाती है , माता का प्रेम क्या है, या फिर पत्नी का प्रेम क्या है |
ह्रदय वो सारी चीजें देख लेती है जो आखें देख नही पाती । माँ इतनी महान क्यों होती है , माँ को ईश्वर से भी उँचा दर्जा दिया गया है आखिर क्यों ?
क्योंकि वह अपने बच्चे के भाव को परख कर बता देती है उसे क्या चाहिए , क्या जरूरत है। उनके सामने खड़े आपको अपनी आँखों से कुछ पता नही चलेगा माँ ने आखिर समझा कैसे कि मुझे क्या चाहिए क्या नहीं ।
कारण है माँ ह्रदय से आपको चाहती है , आपका ह्रदय माँ को संदेश पहुचाने का काम करता है , वो बता देता है कि आपको क्या चाहिए ?
आपने एक कहानी सुनी होगी कि एक सुन्दर सी राजकुमारी को जानवर (बीस्ट) से प्यार हो जाता है । असल में प्यार का होना केवल सोंदर्य ( आँखों द्वारा देखी गयी) से नही अपितु ह्रदय का मिलन है । राजकुमारी का ह्रदय बीस्ट के ह्रदय को समझ पाता है कि यह बीस्ट नही बल्कि बीस्ट के रुप में राजकुमार है । और अंत में ये सच होता है बीस्ट एक राजकुमार बन जाता है।
राजकुमारी ने अपने ह्रदय से परखा तभी तो उन्हे योग्य राजकुमार प्राप्त हुआ , अगर वो आँखों देखा सच मानती तो शायद वो राजकुमार को प्राप्त न कर पाती , जो उनके योग्य था ।
हम जानते हैं कोई भी काम आप बिना दिमाग लगाये नही कर सकतै हैं पर यदि आप काम में दीमाग के साथ - साथ मन ( ह्रदय) भी लगाते हैं , तो आप तरक्की के उन बुलन्दियों को छू सकते हैं जिसके सपने आप अक्सर खुली आँखों मे देखा करते हैं । आपने सुना होगा अल्बर्ट आइन्स्टाईन के बारे में , वे भौतिकी को छोड़कर किसी विषय को पसंद नही करते थे, भौतिकी को उन्होने अपना जुनून बना लिया था , वो ह्रदय से सच्चे मन से कार्य करते थे । आज उन्हे भौतिकी का पिता माना जाता है। ह्रदय की ताकत १००० हाथियों के बल से भी ज्यादा मजबूत होती है । केवल एकदिन दिल ( ह्रदय ) लगाकर पढाई कर देखीये , मुझे विश्नास है आप जिस सिध्दांत कई दिनों से नही समझ पाया , वो आप आसानी से समझेंगे ।
ऐसे कई ऊदाहरण हम अपने जीवन में देख सकते हैं, जो हमें यह कहने पर मजबूर कर देती है कि " कभी - कभी ह्रदय वो देख लेता है जहाँ आँखे नही देख पाती है। "
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कभी-कभी दिल देखता है कि आंखों के लिए अदृश्य है
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आज इस आधुनिक दुनिया में, सभी मनुष्य हृदयहीन हैं। हमें हार्ट के साथ बहुत कम अद्वितीय लोग मिलते हैं। आज के अधिकांश लोग सिर्फ उस व्यक्ति के बाहरी वातावरण को देखते हैं और उसे पहचानना शुरू करते हैं। लेकिन, हमारी आँखें निम्नलिखित व्यक्ति में से एक को नहीं देख सकती हैं। हमारी आंखें जो चीजें नहीं देख सकती हैं उन्हें हार्ट द्वारा देखा जा सकता है।
हमारा दिल एक अदृश्य है। इसे कोई देख नहीं सकता। यह सिर्फ एक प्रकार की भावना है जो किसी के पास होती है। सच्चे दिल से लोग उस व्यक्ति का न्याय कर सकते हैं और मन को पढ़ सकते हैं। हमारे चेहरे पर उपमा रखने से इसका मतलब यह नहीं है कि हम पृथ्वी पर सबसे खुश हैं। असली खुशी दिल से है। आज के मानव शब्द परोक्ष रूप से "मानव" शब्द की परिभाषा के विपरीत हैं। आज के लोगों में लोगों के बारे में कोई भावना नहीं है और यहां तक कि वे किसी भी ऐसे व्यक्ति की मदद नहीं करते हैं जो अपने जीवन में सबसे खराब स्थिति का सामना कर रहा है।
असली मानवता "दिल" के अंदर है। लेकिन, आज का युग इसके विपरीत है। आज, वास्तविक मानवता वाले लोग 3: 1000 के अनुपात में पाए जाते हैं। यानी 1000 में 3 सच्चे दिल वाले लोग। हमारा दिल वो सब कुछ देख सकता है, यहां तक कि वो चीजें भी जो हमारी आंखें नहीं देख सकतीं। जब हम किसी भी जरूरतमंद व्यक्ति की हमारे दिल से मदद करते हैं, तो हमें जिस तरह की अनुभूति होती है, वह बहुत ही अनोखी और अलौकिक होती है। हम इंसान आज सिर्फ पैसे और सफलता की ओर जा रहे हैं।
हम व्यक्ति को बस उसे / उसे देखकर न्याय करने लगते हैं। हमारी आँखें उसकी प्रकृति, शारीरिक भाषा, दृष्टिकोण, बोलने के कौशल से पहचानने लगती हैं। लेकिन, हमारी आँखें वह सब कुछ नहीं देख सकती हैं जो हम सोच सकते हैं। हमारा दिल उन चीजों को देख सकता है जो हमारी आंखें नहीं देख सकतीं। यदि कोई सच्चे दिल से है, तो वह व्यक्ति केवल वास्तविक तरीके से व्यक्ति का न्याय कर सकता है।
प्रकृति ने पृथ्वी पर रहने वाले प्रत्येक जीव के लिए समान मूल्य दिया है। लेकिन हम इंसान बहुत उपेक्षित हैं। हम व्यक्ति को उसके रूप और शरीर से पहचानने लगते हैं। अगर हम इंसानियत के युग में जी रहे हैं, न कि रोबोट के रूप में और अगर हम सच्चे दिल के इंसान हैं, तो हमें उस व्यक्ति को उसकी नज़र से नहीं देखना चाहिए। हमें सभी के साथ समान व्यवहार करना चाहिए, हमें सभी को समान रूप से मूल्य देना चाहिए आदि।
हमारी आंखें ब्रेन से जुड़ी हैं। और हमारा मस्तिष्क अध्ययन और जानकारी से भरा है। हमारे दिमाग में लव, केयर और अफेक्शन जैसा कुछ भी नहीं है। हमें उस व्यक्ति के बारे में दिल से सोचना चाहिए। हमारी आँखें हमेशा सच नहीं दिखती हैं, आंखें कह सकती हैं कि, यह व्यक्ति बाहर से अच्छा है। लेकिन अंदर क्या है? अगर वह व्यक्ति अंदर से भी बुरा दिल है, तो हमारी आँखें भी कहती हैं कि 'यह अच्छा इंसान है'। गुड और बैड के साथ भी ऐसा ही है।
इसलिए, इस तकनीकी पीढ़ी में, हमें अपने दिल के साथ भी सोचना चाहिए। हमारा सच्चा दिल हमें व्यक्ति की वास्तविकता के बारे में कह सकता है। हर कोई पृथ्वी पर अपने जन्म के द्वारा एक गरीब और न ही अमीर व्यक्ति नहीं है। हमें चीजों को बदलने के लिए अपने जीने के तरीके को बदलना होगा। हमें अपनी आंखों से सीधे न्याय करना बंद करना होगा।
हमें हमेशा लोगों के साथ प्यार और देखभाल के साथ रहना चाहिए। हमें हमेशा अपने दिल से जरूरतमंद लोगों की मदद करनी चाहिए। "बस मदद" के रूप में नहीं। एक सच्चा दिल हमेशा एक सच्चा दिल होता है। हमें अपनी आँखों के दृश्य को देखने की आवश्यकता है जैसे कि हार्ट ऑफ़ व्यू। हमारा हर निर्णय केवल हमारे मस्तिष्क द्वारा नहीं लिया जाना चाहिए। हमें दिल से भी सोचना शुरू करना चाहिए। इस आइज़ एंड हार्ट के साथ लोकप्रिय उद्धरण "डोन जज बुक बाय इट कवर" भी ऐसा ही है।