कभी-कभी लक्ष्य बहुत दूर दिखाई देता है। संदेह होने लगता है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे या नहीं। कई बार लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनेक प्रयास करने पर भी असफलता मिलती है । इससे मन में निराशा का भाव जाग्रत हो जाता है। निराशा से प्रसन्नता और शान्ति नष्ट हो जाती है। आशा उत्साहित करती है। निराशा का भाव को नहीं आशा को बसाना चाहिए ।
अकेले नहीं आता । उसके साथ हीनता की भावना का जन्म होता है । असुरक्षा का भाव आता है, तनावों का बवंडर आ जाता है । मन उत्साहहीन हो जाता है। मन में निराशा
प्रश्न :
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।
(ii) निराशा के साथ अन्य कौन कौन सी बुराइयाँ आती हैं ?
(iii) निराशा शब्द का विलोम शब्द लिखिए ।
(iv) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए
Answers
कभी-कभी लक्ष्य बहुत दूर दिखाई देता है। संदेह होने लगता है कि इस लक्ष्य को प्राप्त कर लेंगे या नहीं। कई बार लक्ष्य प्राप्ति के लिए अनेक प्रयास करने पर भी असफलता मिलती है। इससे मन में निराशा का भाव जाग्रत हो जाता है। निराशा से प्रसन्नता और शान्ति नष्ट हो जाती है। आशा उत्साहित करती है। निराशा का भाव अकेले नहीं आता । उसके साथ हीनता की भावना का जन्म होता है । असुरक्षा का भाव आता है, तनावों का बवंडर आ जाता है । मन उत्साहहीन हो जाता है। मन में निराशा को नहीं आशा को बसाना चाहिए ।
गद्यांंश पर आधारित प्रश्नों के उत्तर इस प्रकार हैं...
(i) उपर्युक्त गद्यांश का उचित शीर्षक लिखिए ।
➲ निराशा नही आशावादी बनो।
(ii) निराशा के साथ अन्य कौन कौन सी बुराइयाँ आती हैं ?
➲ निराशा के साथ हीनता और असुरक्षा का भाव जैसी बुराईयां आती हैं। मन उत्साहहीन और तनावग्रस्त हो जाता है।
(iii) निराशा शब्द का विलोम शब्द लिखिए ।
➲ निराशा का विलोम होगा...
निराशा ◄► आशा
(iv) उपर्युक्त गद्यांश का सारांश लिखिए
➲ गद्यांश सारांश...
कई बार किसी कार्य को पूरा करने के लक्ष्य प्राप्ति में अनेक बार प्रयास करने पर भी सफलता नही मिलने के कारण मन में निराशा का भाव आ जाता है और सुख-शांति नष्ट हो जाती है तथा मन उत्साहीन और तनावग्रस्त हो जाता है। इसलिए मन को निराशावादी बनने से बचाकर आशावादी बनाना चाहिए।
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Answer:
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