Kabir das ji ke jiwani in Hindi for final exam in 10 marks
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संत कबीर का जन्म हिन्दू परिवार में और पालन-पोषण मुस्लीम परिवार में हुआ था।
कशी के घाट पर रामानंद जि के चरण-स्पर्श हो जाने से कबीर ने अपने को धन्य माना और उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया।
वे जुलाहे का कार्य करते थे।
अधिक शिक्षित न होने के बावजूद वे अपने युग के सबसे बड़े समाज-सुधारक सिध्द हुए।
वे निराकार ब्रह्म के उपासक थे। उनकी पत्नी का नाम लोई था।
संत कबीर ने हिन्दू-मुस्लीम दोनों जातियों को एक सुत्र में बांधने का प्रयास किया और धर्म के झूठे आडंबर-पूर्ण कर्मकांडों पर जमकर प्रहार किये।
वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे और जाति-व्यवस्था के घोर विरोधी। उन्हें हिन्दू-मुस्लीम एकता का पहला प्रवर्तक माना जाता है।
उन्होंने भारतीय समाज को दकियानसी एवं तंगदिली से बाहर निकालकर एक नयी राह पर डालने का प्रयास किया।
कशी के घाट पर रामानंद जि के चरण-स्पर्श हो जाने से कबीर ने अपने को धन्य माना और उन्हें अपना गुरु स्वीकार किया।
वे जुलाहे का कार्य करते थे।
अधिक शिक्षित न होने के बावजूद वे अपने युग के सबसे बड़े समाज-सुधारक सिध्द हुए।
वे निराकार ब्रह्म के उपासक थे। उनकी पत्नी का नाम लोई था।
संत कबीर ने हिन्दू-मुस्लीम दोनों जातियों को एक सुत्र में बांधने का प्रयास किया और धर्म के झूठे आडंबर-पूर्ण कर्मकांडों पर जमकर प्रहार किये।
वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे और जाति-व्यवस्था के घोर विरोधी। उन्हें हिन्दू-मुस्लीम एकता का पहला प्रवर्तक माना जाता है।
उन्होंने भारतीय समाज को दकियानसी एवं तंगदिली से बाहर निकालकर एक नयी राह पर डालने का प्रयास किया।
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