Hindi, asked by kevinronabraham1, 2 months ago

kabir ke 10 dharmik adambar ka virodh dohe.

pls answer properly or you will be reported.

Answers

Answered by bhatiamona
15

कबीर जी के धार्मिक आडम्बर का विद्रोह दोहे

कबीर जी के दोहे आज तक ज्ञान देते है| हम आज तक कबीर के सिद्धांतों और शिक्षाओं को अपने जीवन शैली का आधार मानते हैं | कबीर जी  ने रूढ़ियों, सामाजिक कुरितियों, तिर्थाटन, मूर्तिपूजा, नमाज, रोजादि का खुलकर विरोध किया |

माला फेरत जुग भया , फिरा न मन का फेर।

करका मनका डार दे , मन का मनका फेर। ।

कबीर जी कहते है , माला फेरते – फिरते युग बीत जाता है , फिर भी मन में वह शांति नहीं मिलती अभी जो एक प्राणी में होना चाहिए। इसलिए वह कहते हैं कि यह सब मनके के  मालाएं व्यर्थ है।  इन सबको छोड़ देना चाहिए , यह सब मन का , मन का फेर है | सच्चे मन से ईश्वर की भक्ति करनी चाहिए |

पाहन पूजे हरि मिले , तो मैं पूजूं पहार

याते चाकी भली जो पीस खाए संसार। ।

कबीर जी कहते है कि , मनुष्य को  व्यर्थ के कर्मकांडनहीं करने चाहिए |  ईश्वर हमारे  हृदय में वास करते है , मनुष्य को अपने हृदय में हरि को ढूंढना चाहिए , ना की विभिन्न प्रकार के आडंबर और कर्मकांड करके हरि को ढूंढना चाहिए।

लाली मेरे लाल की जित देखूं तित लाल।

लाली देखन मै गई मै भी हो गयी लाल। ।

कबीर जी कहते है कि , यह सारी भक्ति यह सारा संसार , यह सारा ज्ञान मेरे ईश्वर का ही है। मुझे ईश्वर सब जगह दिखाई देते है |

आए हैं तो जायेंगे राजा रंक फ़कीर।

एक सिंघासन चढ़ चले एक बंधे जंजीर। ।

कबीर जी कहते है कि विभिन्न आडंबरों और कर्मकांडों को झूठा साबित किया। वह कहते हमेशा कर्म में विश्वास करना चाहिए | मनुष्य को अपने जन्म के उद्देश्य को पूरा करना चाहिए , ना विभिन्न आडंबरों और कर्मकांडों में फंसकर समय को बर्वाद करना चाहिए | मृत्यु सत्य है चाहे राजा हो या फकीर हो या एक बंदीगृह का एक साधारण आदमी हो।

माया मुई न मन मुआ , मरी मरी गया सरीर।

आशा – तृष्णा ना मरी , कह गए संत कबीर। ।

कबीर जी कहते है कि लोग सांसारिक सुख और आशा तृष्णा में रहकर फंस कर रह गए है ।  उसी माया की चाह के लिए उसकी प्राप्ति के लिए दिन – रात जतन करते रहते है।

पोथी पढ़ि पढ़ि जग मुआ , पंडित भया न कोय ,

ढाई आखर प्रेम का , पढ़े सो पंडित होय। ।

कबीर जी कहते है कि किताब और पोथी पत्रा पढ़ने से कोई पंडित अथवा विद्वान नहीं हो जाता। पंडित वही होता है , जिस में वह स्वभाव में विद्वता आता जो एक विद्वान में आना चाहिए। को व्यक्ति प्रेम के साथ रहता है |

Similar questions