Kabir Ki virah vedna ka spasht adhar
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भावार्थ / अर्थ – कबीर कहते हैं – वह प्यारा मित्र बिन रोये कैसे किसीको मिल सकता है ? [रोने-रोने में अन्तर है । दुनिया को किसी चीज के लिए रोना, जो नहीं मिलती या मिलने पर खो जाती है, और राम के विरह का रोना, जो सुखदायक होता है।] जौ रोऊँ तौ बल घटै, हँसौं तो राम रिसाइ
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