Hindi, asked by saniya9485, 11 months ago

kabir lesson hona vali prarana lika in Hindi​

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Answered by shivambisht36
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Answer:

इन साखियों में कबीरदास जी कहते हैं कि हमें सज्जन पुरुष को उसके ज्ञान के आधार पर ही परखना चाहिए। अर्थात् हमें व्यक्ति की पहचान उसके बाहरी रूप से न कर के उसके अंतरिक गुणों के आधार पर करना चाहिए। हमें अगर कोई बुरी बात कह रहा है तो हमें ध्यान नहीं देना चाहिए और उसे पलटकर बुरा भी नहीं कहना चाहिए नहीं तो बात बढ़ती जाती है। अगर एक व्यक्ति गाली देता है और सामने वाला तुरंत जवाब गाली के रूप में देता है तो इस तरह से बात बढ़ जाती है, बिगड़ जाती है। अतः हमें ऐसा नहीं करना चाहिए, उसकी कही हुई बात को तुरंत नज़र अंदाज करके वहीं खत्म कर देना चाहिए। आगे वो कहते हैं कि मनुष्य चचंल स्वभाव का होता है वह माला तो दिनभर फेरता है और प्रभुनाम लेता रहता है किन्तु उसका मन तो कही और ही भटक रहा होता है। वह हाथ से माला फेर रहा होता है और प्रभु नाम का नाटक कर रहा होता है लेकिन उसका जो असली मन है वो कहीं और भटक रहा होता है किसी और दिशा में सोच रहा होता है। अर्थात् एकाग्र मन से ईष्वर को याद करने से ही ईश्वर मिलते है। अगर आप अपने मन पर लगाम नहीं लगाएँगे उसके भटकने पर रोक नहीं लगाएँगे तो ईश्वर की प्राप्ति नहीं हो सकती।

कबीरदास जी किसी को बड़ा या छोटा न समझने की बात कहते हैं तथा कहते हैं कि हमें छोटा समझकर किसी को दबाना नहीं चाहिए। कई बार छोटी चीजें भी बहुत दुःख दे देती हैं। कबीर जी कहते है कि किसी को छोटा या बड़ा नहीं समझना चाहिए। किसी को छोटा समझ कर उसे दबाना नहीं चाहिए कुचलना नहीं चाहिए। कई बार छोटी चीजें भी बहुत दुख दे देती हैं। जिन्हें हम छोटा समझते है, एक दिन वे बहुत बड़े दुख का कारण भी बन जाती है। वह यह भी कहते हैं कि अगर हमारे मन में शांति है तो हमारा कोई दुश्मन नहीं है अगर हम अपना अहंकार छोड़ दे तो सब पर दया कर सकते है। इन दोहो में इनकी भाषा सरल और भावपूर्ण है।

यह जो कबीरदास की साखियाँ है इनकी भाषा बहुत सरल और भावपूर्ण अर्थात् सबके समझ में आने वाली है और भाव से भरी हुई है ।

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