kabir ne ishwar ko kis roop me pehchana hai
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Explanation:
व्याख्या-कबीरदास कहते हैं कि हमने तो जान लिया है कि ईश्वर एक ही है। इस तरह से मैंने ईश्वर के अद्वैत रूप को पहचान लिया है।
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कबीर ने ईश्वर के किस रूप को पहचाना है ?
उत्तर : कबीर ने ईश्वर के अद्वैत रूप को पहचाना है। कबीर कहते हैं, कुछ लोग ईश्वर का अलग-अलग रूप बताते हैं, तो मेरा विचार है कि वे वास्तविकता को नहीं जानते।
व्याख्या :
वह आत्मा और परमात्मा को अलग-अलग मानते हैं। मैंने तो ईश्वर के अद्वैत को पहचान लिया है। इस जगत में ईश्वर एक ही है। संसार में जैसे एक हवा है, एक पानी है, एक ही प्रकाश है, जिसमें सब समाया हुआ है। उसी तरह ईश्वर भी एक ही है। उसके कोई रूप नहीं है। ईश्वर अद्वैत है और मैंने ईश्वर के उसी अद्वैत रूप को पहचान लिया है।
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