kabuliwala kahani se hame kya siksha milti hai
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प्रस्तुत कहानी 'काबुलीवाला' रवींद्रनाथ टैगोर द्वारा रचित है। यह कहानी काबुलीवाले और छोटी बच्ची मिनी के आसपास घूमती है। ... काबुलीवाला मिनी से ही अपनी पुत्री के स्नेह की पूर्ति करता है। मिनी के लिए वह एक ऐसा मित्र है, जो उसकी सारी बातों को सहर्षता से सुनता है।
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आपसी भाईचारे और प्रेम के कारण ही दुनिया का अस्तित्व बना हुआ है। दूर देश में जाकर भी जब व्यक्ति पराये लोगों को अपना बना लेता है तो उसके जीवन की सार्थकता सिद्ध होती है। गुरु रविंद्रनाथ टैगोर की रचनाएं भी आपसी प्रेम पर बल देती है, जिससे मानव के आपसी संबंधों में मधुरता आने की संभावना रहती है। यह कहना था अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के प्रदेशाध्यक्ष प्रमोद शास्त्री का। वे मंगलवार शाम मल्टी आर्ट कल्चरल सेंटर में आयोजित नाटक के शुभारंभ पर बोल रहे थे। मैक व्यथ थियेटर ग्रुप अम्बाला के कलाकारों द्वारा भारत सोपोरी के निर्देशन में तैयार गुरु रविंद्र नाथ टैगोर की रचना पर आधारित नाटक काबुलीवाला के मंचन किया गया। मंच संचालन विकास शर्मा ने किया।