कचरा व्यवस्थापन का संवाद लेखन अध्यापक और विद्यार्थी
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शिक्षक - आज कल कचरा व्यवस्थापन पर कोई बात नहीं करता जबकि ये एक गंभीर विषय है और हर किसी को इसके बारे में जानकारी होनी चाहिए ।
विद्यार्थी- लेकिन सर इसके लिए तो हमारे मोहल्ले में कचरा उठाने के लिए एक गाडी रोज आती है इसमें आम लोग क्या कर सकते है।
शिक्षक- नहीं तुम मेरी बात नहीं समझे में कचरा व्यवस्थापन की बात कर रहा हु जिसका मतलब है की घरो और उद्योगित फैक्टरियों से निकलने वाले कचरे का सही से विश्लेषण।
विद्यार्थी- सर वो क्या होता है कृपया मुझे भी समझाए।
शिक्षक- है क्यों नहीं, सरकार ने कचरे की सही से संभाल करने के लिए कुछ निर्देश जनता को दिए है जिसे आम जनता अगर सही से अमल करे तो कचरा व्यवस्थापन समस्या से बहुत हद तक निजात पाया जा सकता है।
विद्यार्थी- सर कैसे निर्देश ?
शिक्षक- जैसे सरकार ने अलग-अलग रंग के कूड़ादान लगा रखे है जिसमे गीला और सूखा कूड़ा दोनों अलग अलग रंग के कूड़ादानों में डाला जाता है जैसे सूखा कूड़ा डाला जाता है और जो फ़ैक्टरिया है उन्हें भी कई तरह के निर्देश दिए है जैसे वो फैक्ट्री का कचरा नदियों तालाबों में नहीं दाल सकते और सरकार से मिलने वाले पानी को भी एक हद तक इस्तेमाल कर सकते है।
विद्यार्थी- सर ये तो बहुत अच्छी जानकारी है में इससे अनजान था।
शिक्षक- यही तो समस्या है लोग कचरा व्यवस्थापन से अनजान है और ये प्रदूषण और बीमारियों का कारन बन रहा है और दूसरा लोग सरकार दवारा दिए निर्देश का पालन नहीं करते और सड़को गलियों में कूड़ा फेकते रहते है और सरकारी सफाई कर्मचारी भी अपना काम ईमानदारी और जिमेवारी से नहीं करते ।