Kachhua Aur Do hanso ke beech samvad lekhan
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Explanation:
किसी तालाब में एक कछुआ रहता था। उस तालाब में दो हंस भी रहते थे जिनकी कछुए से बड़ी अच्छी दोस्ती थी। वे हंस उस कछुए को हमेशा दूर देशों, वनों और पहाड़ों की कहानियां सुनाया करते थे क्योंकि वे लम्बी-लम्बी यात्राएं किया करते थे। वे अक्सर यह भी बताते थे कि आसमान से देखने पर धरती कितनी सुन्दर लगाती है।
कछुआ भी बादलों में घूमना चाहता था। उसने हंसों से निवेदन किया कि कोई तरकीब लगाकर उसे भी आसमान की सैर कराएं। हंस ने वादा किया वे इसका कोई न कोई उपाय जरूर सोचेंगे। उसके बाद हंस एक छड़ी लेकर आए और कछुए से कहा कि उसे बीच से मुंह से पकड़ ले। हंसों ने कहा वे उस छड़ी को दोनों तरफ से अपनी चोंचों से पकड़ लेंगे और कछुए को लेकर आसमान में उड़ जाएंगे। लेकिन उन्होंने यह भी बताया कि उड़ान भरते समय कछुए को अपना मुंह बंद रखना होगा वरना वह आसमान से सीधा धरती पर आ गिरेगा।
turtle flying with swan
इस तरह से कछुए की रोमांचकारी उड़ान शुरू हो गई। पलक झपकते ही वे हंस हवा से बातें करने लगे। कछुए के लिए तो यह जैसे किसी स्वप्न के समान था। अपनी पूरी जिंदगी में उसने अपने तालाब से बाहर कुछ भी नहीं देखा था। कुछ देर बाद वे किसी गाँव के ऊपर से उड़ रहे थे। गाँव के कई लोग आश्चर्य से उन्हें देख रहे थे। किसी ने कभी भी कछुए को इस तरह आसमान में उड़ते नहीं देखा था। चारों और भारी कोलाहल मचा हुआ था। कछुआ सबों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। उसे लगा कि वह स्टार बन गया है। अपने उल्लास को जाहिर करने के लिए वह जोर से चिल्लाया। लेकिन उसका उल्लास क्षणिक था, क्योंकि वह धड़ाम से जमीन पर गिरा और उसके प्राण पखेरू उड़ गए।
इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है कि हमें उचित समय आने पर ही बोलना चाहिए।
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कछुआ और दो हंसों के बीच संवाद
कछुआ – मित्रो! क्या आपने मच्छ्वारों की बातें सुनी? कल वे यहाँ इस तलाव के कच्छुए, मच्छलियों आदि को मारेंगे|
हंस – मित्र कल जैसा उचित होगा वैसा करेंगे|
कछुआ – अगर ऐसी बात है तो मैं दूसरे तालाब को जाता हूँ|
हंस – यहाँ क्या उपाय है जो हम कर सकते हैं?
कछुआ – तुम लकड़ी के डंडे को एक ओर से चोंच से पकड़ो, मैं बीच में लटक कर तुम्हारे पंखों के बल से जाऊँगा|
हंस – लेकिन यहाँ एक कमी भी है|
कछुआ – क्या?
हंस – अगर आपने कुछ बोला तो आप नीचे गिर जाएंगे|
कछुआ – क्या मैं मूर्ख हूँ?