kadha lekhan antharvshaliya kridaspardha
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नमस्कार मित्रो,
आज एक लम्बे अंतराल के बाद आप सबसे पुनः संवाद कर रहा हूँ.
अभी कुछ ही दिनों पूर्व अन्तर्वासना के सम्पादक आदरणीय गुरु जी ने मेरी कथा लेखन की भाषा शैली और विषयवस्तु की प्रशंसा करते हुए मुझसे आग्रह किया था कि मैं “सेक्स स्टोरी कैसे लिखें” इस विषय पर एक निबन्ध लिखूं, एक कामुक कहानी या सेक्स स्टोरी के क्या गुण धर्म होते हैं, इसमें क्या होना चाहिए क्या नहीं और एक सेक्स कथा लिखते समय किन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए और एक अच्छी सेक्स कहानी को कैसे लिखें; इन सब बातों का समावेश करके एक निबन्ध लिखने को कहा था.
सबसे पहले तो मैं आदरणीय गुरु जी को धन्यवाद देता हूं कि उन्होंने मुझे इस योग्य समझा और इस विषय पर लिखने हेतु मेरा चयन किया. मेरी पिछली कहानी
बहूरानी की चूत की प्यास के बारे में मुझे सौ से अधिक ई मेल्स मिले हैं जिनमें अधिकाँश ने मेरे लेखन की प्रशंसा करने के साथ ही उनकी अपनी सेक्स कथा लिखने का अनुरोध किया है; मैं उन सभी प्रशंसकों को धन्यवाद देता हूं और आशा है कि यह लेख सभी के लिए उपयोगी होगा.
तो मित्रो, पहली बात तो ये अच्छी तरह से समझ लें कि कोई भी सेक्स कथा किसी अन्य साहित्यिक रचना की तरह ही होती है अब ये किसी पाठक का अपना खुद का दृष्टिकोण है कि वो इन कहानियों को किस दृष्टि से देखता है. अपने भारतीय प्राचीन सेक्स साहित्य में अनेक दुर्लभ ग्रन्थ लिखे गए जिनमें से कुछ ही आज प्राप्य हैं जैसे महर्षि कोका द्वारा रचित कोकशास्त्र, महर्षि वात्स्यायन रचित कामसूत्र और अन्य ग्रन्थ जैसे गीत गोविन्द, संस्कृत भाषा में रचित मृच्छकटिकम्, रति विलास जैसे अनेक काम्य ग्रन्थ आज भी आदर की दृष्टि से देखे, पढ़े समझे जाते हैं. हमारे प्राचीन ऋषियों ने स्त्रियों की योनि की बनावट के आधार पर उन्हें चार भागों में विभक्त भी किया है जैसे हस्तिनी, अश्विनी, चित्रिणी, पद्मिनी इत्यादि!
अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय इतना मन में विश्वास रखना चाहिए कि आप भी साहित्य सृजन ही कर रहे हैं न कि गन्दा, अस्वीकार्य या अक्षम्य लेखन कर रहे हैं. अतः अपनी सेक्स कथा लिखते समय कोई भी हीन भावना मन में न रखें और पूरे आत्मविश्वास के साथ लिखें.
कोई भी लेखक अपनी लेखनी से कुछ भी लिखने को स्वतंत्र होता है या कोई भी कलाकार या मूर्तिकार अपनी पसन्द से अपनी कला को रच सकता है. किसी मूर्तिकार को खजुराहो या कोणार्क जैसी सजीव सम्भोगरत जीवन्त मूर्तियाँ पत्थर की शिला से उकेरना अच्छा लगता है तो कोई मूर्तिकार भगवान् का कोई रूप अपनी छैनी हथोड़े से गढ़ता है. सारे के सारे रूप कला की दृष्टि से एक जैसे सम्माननीय ही हैं. ठीक यही बात सेक्स कहानी पर भी लागू होती है. अतः सेक्स कथा भी एक विशिष्ट श्रेणी का साहित्य ही समझा जाना चाहिए.