कह कविराय कविता का पद्य विश्लेषण
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कह कविराय कविता का पद्य विश्लेषण?
कविता का नाम : कह कविराय
कविता की विधा : कुंडली
कविता का पद्य विश्लेषण
'कह कविराय' कविता के माध्यम से समय के महत्व को प्रकट किया गया है। कविता में यह बताने की चेष्टा की गई है कि व्यक्ति को समय का महत्व समझते हुए हर काम को सोच विचार कर करना चाहिए। यदि व्यक्ति समय का महत्व समझेगा और सोच विचार कर समय का सदुपयोग करेगा तो उसके जीवन में सफलता की संभावना अधिक हो जाएगी। इस कविता से यह प्रेरणा मिलती है कि व्यक्ति को समय के महत्व के साथ-साथ सामाजिक गुणों का भी पालन करना चाहिए। सब के साथ विनम्र रहना चाहिए और सब के साथ मित्रता का व्यवहार करना चाहिए। सदैव दूसरों के काम आना चाहिए और किसी ने हमारी सहायता की है, तो हमेशा उसके प्रति कृतज्ञ रहना चाहिए। कोई भी कार्य सोच विचार कर करना चाहिए तथा व्यक्ति को निरंतर परोपकार का कार्य करते हुए दान भी करने रहना चाहिए।
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दौलत पाय न कीजिए, सपनेहु अभिमान
दौलत पाय न कीजिए, सपनेहु अभिमान।
चंचल जल दिन चारिको, ठाउं न रहत निदान॥
ठाउं न रहत निदान, जियत जग में जस लीजै।
मीठे बचन सुनाय, विनय सबही की कीजै॥
कह 'गिरिधर कविराय अरे यह सब घट तौलत।
पाहुन निसिदिन चारि, रहत सबही के दौलत॥