कहानी आजादी के महत्व पर 400-500 शब्द
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आजादी की तारीखें आर्धशताब्दी पूरी कर आगे बढ़ चुकी हैं, आजादी के दीवानों की कहानियां कितनों की जबानी और कितनों की जिन्दगानी बन चुकी हैं। आजादी के इन वीर योद्धाओं में दीवानों की तरह मंजिल पा लेने का हौसला तो था, लेकिन बर्बादियों का खौफ न था। रोटियां भी मयस्सर न हों लेकिन परवाह न था, दीवानों की तरह ये आजादी के दीवाने भी, मंजिलों की तरफ बढ़ते चले गये, बड़े से बड़े जुल्मों सितम भी उनके कदमों को न रोक सके, कोई ऐसी बाधा न हुई, जिसने उनके सामने घुटने न टेक दिए। अपने हौसलों से हर मुश्किल का सीना चिरते हुए आजादी की मंजिल की तरफ बढ़ते ही चले गये। न हिसाब है, न कीमत है उनकी कुर्बानियों का, सँभाल कर रख सकें उनके जिगर के टुकड़े आजादी को सही सलामत, यही कीमत हो सकती है उनकी मेहरबानियों का। हम आजाद हुए, कितना कुछ बदल गया, खुली हवा में साँस तो ले सकते हैं, दो वक्त की रोटियां तो मिल जाती हैं, बेगार के एवज में किसी के लात घुंसे तो नहीं खाने पड़ते हैं, बहुत कुछ बदल गया। कम से कम अपने मौलिक अधिकारों के अधिकारी तो हैं, मुँह से एक शब्द लिकालना गुनाह तो नहीं है। अच्छा है हम आजाद हैं, और भी आच्छा होगा यदि हम आजाद रहें, उससे भी अच्छा होगा यदि हम दूसरों को आजाद कर सकें, गरीबी, भ्रष्टाचार, अज्ञानता और अंधविश्वास की गुलामी से। इंसानों के बंधनों से आजाद हो गये, मन के कुसंस्कारों के बन्धन से आजाद हों तो पूरा आजादी मिलेगी। दूसरों से लड़कर उनके बन्धन से तो आजाद हो गये, स्वयं के अन्दर व्याप्त कुसंस्कारों से लड़कर कितने लोग आजाद हो पाते हैं यह तो वक्त ही जानता है। आजादी एक दिन में नहीं मिली, शताब्दियां लग गयीं, इन बातों को भी समझने में वक्त लगेगा। एक विद्यार्थी को किसी संस्था के माध्यम से स्नातक होने में कम से कम पन्द्रह वर्ष तो लग ही जाते हैं, तो एक स्वनुभव से ज्ञान प्राप्त करने वाले व्यक्ति को भी कम से कम पन्द्रह वर्ष लग ही जायेंगे, कुछ ज्यादा भी लग जाये तो भी हैरानी की बात नहीं, और उम्र भी बीत जाए फिर भी ज्ञान प्राप्त न हो तो भी कोई आश्चर्य की बात नहीं क्योंकि ज्यादातर यही होता है आपवाद स्वरुप में पन्द्रह वर्ष से पूर्व ही ज्ञान प्राप्त हो जाये तो भी कोई आश्चर्य नहीं। जब भी हो जैसे भी हो जब तक प्रत्येक व्यक्ति शिक्षित नहीं हो जाता किसी समग्र बदलाव की उम्मीद व्यर्थ है।
आजादी का दिवस हमारे देश में बहुत खुशी और उत्सुकता से मनाया जाता है।बहुत वर्ष पहले भारत देश अंग्रेज का गुलाम था भारत के लोगों ने अपना खून बहा कर आजादी को प्राप्त किया है। भारत को अंग्रेज के ज़ुल्म से 15 अगस्त, 1947 को आज़ादी मिला। भारतियों के दिलों में आजादी दिवस एक अहम जग रखता है। हर भारत वासी इससे बड़े धूम धाम से त्योहार के रूप में मनते है। भारत के हर शहर के गली में देश का झंडा लहरता है। हर जग देश गान बजाता है। इस दिन हमारे देश के प्रधान मंत्री लाल किला पर भारत का झंडा फेलते है भारत को आजादी मिले हुए 74 साल हो गया है। भारतीयों को न केवल ब्रिटिश शासन से आजादी मिली बल्कि कठोर औपनिवेशिक नियमों से भी आजादी मिली, जिसने भारतीयों को उनके सभी बुनियादी अधिकारों से वंचित कर दिया। उन्हें अंग्रेजों के खिलाफ बोलने का भी अधिकार नहीं था क्योंकि अगर वे ऐसा करते हैं तो उन्हें सलाखों के पीछे डाल दिया जाएगा और ब्रिटिश सैनिकों द्वारा बुरी तरह प्रताड़ित किया जाएगा। कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने देश के लिए अपनी जान गंवाई।
यह स्वतंत्रता भारतीयों द्वारा अपनी मातृभूमि के लिए किए गए विभिन्न बलिदानों का प्रतीक है। और इसलिए, वे सभी देशवासियों के दिलों में हमेशा नश्वर रहेंगे। हर भारतीय गर्व से स्वतंत्रता दिवस मनाता है।