Hindi, asked by yashfeen4212, 1 month ago

कहानी लेखन

'हर देश की सांस्कृतिक धरोहर ही देश को समृद्ध बनाती है' इस विषय पर कथा लिखिए।​

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Answered by wildfam
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Answer:

कहने को तो हमें अपनी संस्कृति और परंपरा पर बेहद गर्व है और हम दुनिया के सामने दावा करते नहीं थकते कि विश्व में संभवत: भारत ही एक ऐसा देश है जहां हजारों साल से बहती चली आ रही जीवंत संस्कृति की धारा आज भी उसके निवासियों के जीवन को अनुप्राणित करती है। लेकिन सच यह है कि हमें अपनी सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की कोई खास फिक्र नहीं है। अंग्रेज शासक इस मामले में हमसे हद दर्जा बेहतर थे। यह उनके प्रयासों का ही फल है कि आज हम मुअनजोदड़ो और हड़प्पा के बारे में जानते हैं, अजंता और एलोरा की गुफाओं के सौंदर्य को जाकर निहारते हैं और सांची के स्तूप को देखकर अपने अतीत पर गर्व करते हैं। अनेक ऐतिहासिक अनुसंधानों और पुरातात्विक उत्खननों द्वारा उन्होंने हमारे इतिहास के लुप्त पृष्ठों को सामने लाने का काम किया और देश की सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया।

1861 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण की स्थापना करने वाले अलेक्जेंडर कनिंघम (जिन्हें बाद में सर का खिताब मिला) पेशे से सेना में इंजीनियर थे। 1874 में नागपुर जाते समय कनिंघम ने भरहुत के भव्य स्तूप देखे। उनका बहुत बुरा हाल था ञ्चयोंकि आस-पास रहने वालों को उनके महत्व का कोई अंदाज नहीं था। कनिंघम ने कुछ गार्ड वहां छोड़े और फिर बाद में हमारी इस अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर को संभाला। सांची, सारनाथ और महाबोधि विहार की कहानी भी कुछ ऐसी ही है।

लेकिन हमने क्या किया? आजादी के समय हमारे देश में ऐतिहासिक महत्व की जितनी इमारतें थीं, आज उनकी संख्या में अच्छी-खासी कमी आ चुकी है। लोगों ने उन पर अवैध कब्जे कर लिए हैं, उन्हें तोड़कर नई इमारतें खड़ी कर ली हैं, उनके आस-पास इतनी बसाहट हो गई कि अनेक इमारतों का तो दम ही घुट गया है। कुछ साल पहले खबर आई थी कि मुहम्मद-बिन-तुगलक के शासनकाल में दिल्ली आने के बाद महान यायावर इब्न बतूता हजरत निजामुद्दीन बस्ती में स्थित जिस इमारत में रहा करते थे, उसे तोड़ कर वहां नया निर्माण कर लिया गया है।

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