कहानी लेखन
मक सुंदर वन - इंद्रदेव का आगमन - वन का सौदर्य देखना - सूखे पेड़
पर तेने का देखना - सवाल पूछना -तीने का जवाब - इंद्रदेव का
वयानसीब और शीर्षक ,
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मैं प्राकृत का पुजारी हूं और मनुष्य को प्राकृतिक रूप में देखना चाहता हूं जीवन मेरे लिए आनंदमई खेड़ा है जहां गुप्ता और एक साथ और जलन के लिए कोई स्थान नहीं में भूत की चिंता नहीं करता हूं मेरे लिए वर्तमान ही सब कुछ और इसकी चिंता हमें कायर बना देती है भूत का भार हमारी कमर तोड़ देता है या नहीं कहता है होठों पर मुस्कुराहट ना आए आंखों में से आंसू ना आए मैं कहता हूं अगर तुम हंस नहीं सकोगे तो तुम मनुष्य नहीं पत्थर वह एग्जाम जो मानव को पीस डाले ज्ञान नहीं खुली है निम्नलिखित गद्यांश की सप्रसंग व्याख्या कीजिए
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