Hindi, asked by prafulranpiseraymond, 3 months ago

कहानी लेखनः
नीचे दिए गये शब्द/आधार पर कहानी लिखिए तथा कहानी से प्राप्त सीख का उल्लेख करते हुए कहानी को
उचिर शीर्षक भी दीजिए:
एक राजा - लड़ाई में हारना - भागकर एक गुफा में छिपना - बाहर एक पेड - एक दिन मकडी को पेड पर चढते-
गिरते देखना - बार -बार प्रयास - अंत में चढने में सफल - राजा की आँखे खुलना - उत्साहित होकर सैन्य जुटाना
जोरदार आक्रमण-विजयी होना 70 से 80 शब्द​

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shailajavyas

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भानु की गर्मी की छुट्टियांँ लग गई थी | उसके पिताजी को दफ्तर से अवकाश नहीं मिला था इसलिए वह कुछ उदास था | यद्यपि इस कारण से वह छुट्टियों में भ्रमण के लिए कहीं जाने वाला नहीं था तथापि उसके पास एक छोटी-सी पाली हुई गिलहरी थी जिसके साथ वह खूब खेलता था | गिलहरी का निवास बरामदे की अलमारी में था | वह अलमारी से निकलकर पूरे बरामदे में घूमती थी | भानु के कमरें की खिड़की बरामदे मे ही खुलती थी | कभी -कभी वह खिड़की से भानु के पास आ जाया करती थी  |                                                                                                                                                                 आज वह सुबह से अपने कमरे में अनमना-सा था । एकाएक माँ कमरे में आई और उसे बताया कि उसकी सोनू दीदी आ रही है | यह सुनते ही वह उछल पड़ा । उसकी बांँछे खिल गई | वह बहुत खुश हुआ | सोनू दीदी उसे बहुत प्यार करती थी। साथ ही सोनू दीदी का आठ महीने का छोटा-सा बच्चा "मुन्ना", भानु के लिए मानों खिलौना था। पिछली गरमियों में सोनू दीदी दो ही दिनों के लिए आई थी। इस बार पंद्रह दिन के लिए आने वाली थी। उसे सब जानकारी माँ ने दी। अब समय काटना उसके लिए मुश्किल हो रहा था | वह चाह रहा था कि कब कल आए और कब दीदी आए । आखिर वह समय आ गया जब उसकी दीदी आ गई | वह बहुत खुश हुआ | बच्चे के साथ खूब खेलने लगा | दो-तीन दिन के बाद माँ ने गर्मी के दिन होने के कारण चावल के पापड़ बनाने शुरू किए | दीदी और भानु ने भी माँ का हाथ बटाँया | भानु चावल के पापड़ ले जाकर छत पर सुखाने का काम कर रहा था । अपने भतीजे को उसने गिलहरी के साथ बरामदे में बिठा दिया। खेलते-खेलते मुन्ना गिलहरी के पास जा पहुँचा | सोनू दीदी ने देखा तो गिलहरी को भगाने की कोशिश करने लगी | गिलहरी चावल के पापड़ के पास पहुंच गई। माँ का ध्यान बँँटते ही गिलहरी चावल के पापड़ खाने लगी। छोटा मुन्ना भी उसके पीछे-पीछे आ गया | वह भी चावल का पापड़ मुँह में डालने लगा । अबतक भानु भी छत से नीचे आ गया था, उसने मुन्ना को गोद में उठा लिया | तीनों मिलकर खूब मस्ती करने लगे । माँ और सोनू दीदी दोनों ये देखकर मुस्कुरा उठे | {कहानी का शीर्षक है " ग्रीष्मावकाश का आनंद "}

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