कहानी-लेखन१. राजा के दरबार में एक रिश्वतखोर द्वारपाल प्रवेश के लिए लोगों से रिश्वत लेना - कभी नपकड़ा जाना२. एक चतुर कवि का आगमन - प्रवेश देने की प्रार्थना - द्वारपाल द्वारा आधे पुरस्कार की मांगकवि का आश्वासन देना3. दरबार में कविता का पाठ- राजा का खुश होना - "इनाम माँगो" "सौ कोड़े"४. सबको आश्चर्य - कवि के पचास कोड़े पूरे होना-द्वारपाल को शेष पचास कोड़े।
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कहानी-लेखन
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- चतुराई का महत्व
- एक बार शाहजहांपुर नाम के राज्य का राजा शमशेर हुआ करता था। राजा अपने राज्य के लोगोंं की हमेशा मदद करता था।
- परंतु, उसके दरबार का द्वारपाल रिश्वतखोर था। दरबार में प्रवेश करने के लिए वह लोगोंं से रिश्वत मांगता था। लेकिन उसकी रिश्वतखोरी कभी पकड़ी नहीं जाती थी।
- एक दिन दरबार में एक चतुर कवि का आगमन हुआ। उसने द्वारपाल से प्रवेश करने की मांग की और उसे आश्वासन दिया कि राजा द्वारा मिलनेवाले पुरस्कार का आधा हिस्सा उसे मिलेगा।
- यह सुनकर द्वारपाल ने उसे दरबार में जाने दिया। कवी ने राजा के सामने कविता का पाठ किया, जिसे सुनकर राजा बेहद खुश हुआ।
- उसने कवी से मनचाहा इनाम मांगने के लिए कहा। उसने इनाम के रूप में सौ कोड़े मांगे, जिसके सुनकर सभी लोगों को आश्चर्य हुआ।
- कवि के पचास कोड़े पूरे होने पर द्वारपाल को दिए गए आश्वासन के अनुसार द्वारपाल को बचे हुए पचास कोड़े मिले।
- इस प्रसंग के बाद द्वारपाल को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने रिश्वतखोरी करना बंद कर दिया।
- सीख: चतुराई से बड़े से बड़े काम को भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है।
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