कहानी लेखन दो बिल्लियां
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एक गाँव में दो बिल्लियाँ रहा करती थी। वह आपस में बहुत प्यार से रहती थी। उन्हें जो भी खाने में मिलता, हमेशा बाँट कर खाया करती थी। एक दिन उन्हें एक रोटी मिली। अब रोटी एक और बिल्ली दो। उन्होंने रोटी के दो टुकड़े तो कर लिए पर दोनों टुकड़े बराबर है की नहीं, इसका फैसला नहीं कर पाए। उन्हें एक टुकड़ा बड़ा और दूसरा टुकड़ा थोड़ा छोटा लगा।
जब दोनों बिल्लियाँ किसी समझौते पर नहीं पहुँच सकी तो उन्होंने किसी और से फैसला करवाने की सोची। जब वो फैसला करवाने के लिए किसी को ढूंढ़ रही थी तो उन्हें एक बन्दर मिला। उन्होंने बन्दर से ही फैसला करवाने की सोची। दोनों बिल्लिओं ने बन्दर के सामने अपनी समस्या रखी। सारी बात सुनने के बाद बन्दर एक तराजू ले आया और रोटी के दोनों टुकड़ों को अलग अलग पलड़े में रख दिया। तौलते समय जो पलड़ा भारी होता, बन्दर उस में से थोड़ी सी रोटी तोड़ कर खा लेता। ऐसा करते करते बन्दर पूरी की पूरी रोटी खा गया और दोनों बिल्लियाँ एक दूसरे का मुंह देखती रह गयी