कहानी। स्वास्थ ही संपदा है।
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राजा कृष्णदेवराय रोज प्रातःकाल व्यायाम करते थे | एकबार राजा ने कृष्णदेवराय ने आरामदायक जीना प्रारंभ किया | अब वे न तो व्यायाम करते और न ही घुड़सवारी | राजा कृष्णदेवराय भोजन भी अधिक करने लगे | परिणामस्वरूप उनका शरीर मोटा हो गया | राजा का स्वभाव भी बदल गया |
राजा के स्वास्थ को देखते हुए राज वैद्य ने अधिक खाने से होने वाले खतरों से सावधान किया | चिकित्सक ने उन्हें भोजन कम करने की सलाह दी | राजा उस पर नाराज हो गए | एक दिन राजा ने घोषणा की, कि जो भी मुझे ठीक होने का उपाय बताएगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा | उन्होंने यह शर्त भी रखी कि जो असफल होगा, उसकी गरदन उतार ली जाएगी | स्थिति खराब होने लगी | तेनाली रमन को दरबार में बुलाया गया |
दूसरे दिन एक ज्योतिषी ने भविष्यवाणी की, कि राजा एक माह में मर जाएगा | राजा ने ज्योतिषी को कारागर में बंद कर दिया | मृत्यु के भय से राजा का भोजन स्वयं कम हो गया | एक महीना बीत गया | राजा को कुछ नहीं हुआ, तो राजा ने ज्योतिषी को बुलाया तथा कहा कि तुम्हारी गरदन क्यों न उतार ली जाए? ज्योतिषी ने धैर्य से कहा, "महाशय, आईने में देखिए, अब आप ठीक हो गए हैं |"
राजा स्वयं को दुबला-पतला पाकर खुश हो गए | मोटापा बीमारी का घर है | आजकल तो शूगर की बीमारी आम बात हो गई है | लोक में कहावत प्रचलित हैं - 'पहला सुख निरोगी काया' स्वस्थ शरीर मनुष्य के लिए नियामत है | व्यक्ति को व्यायाम तथा कसरत करके शरीर की अतिरिक्त चरबी जला देनी चाहिए |
स्वस्थ व्यक्ति का शरीर-चुस्त रहता है, डॉक्टरों की जरुरत नहीं पड़ती | मनुष्य के लिए उसका स्वास्थ ही उसकी संपदा है |