कह न ठण्डी सांस में अब भुल वह जलती कहानी , आग हो उर में तभी दृग में सजेगा आज पानी हार भी तेरी बनेगी मानिनी जय की पताका , राख क्षणिक पतंग की है अमर दीपक की निशानी है तो अंगार- शय्या पर मृदुल कालियाँ बिछाना । जाग तुझको को दूर जाना । ।
उपर्युक्त पद्यांश को पढ़कर निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए
१. मनुष्य को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए क्या करना चाहिए
२. लक्षय या परमात्मा को प्राप्त करने का साधन क्या बनाता है
३.कवित्री ने पतंगे का उदाहरण क्यों दिया है
४. कवित्री अंगार- शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना पंक्ति के माध्यम से क्या कहना चाहती है
५. प्रस्तुत पद्यांश की भाषा शैली पर टिप्पणी कीजिए
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१. मनुष्य को अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए क्या करना चाहिए
२. लक्षय या परमात्मा को प्राप्त करने का साधन क्या बनाता है
३.कवित्री ने पतंगे का उदाहरण क्यों दिया है
४. कवित्री अंगार- शय्या पर मृदुल कलियां बिछाना पंक्ति के माध्यम से क्या कहना चाहती है
५. प्रस्तुत पद्यांश की भाषा शैली पर टिप्पणी कीजिए
यह पद्यांश महादेवी वर्मा के द्वारा लिखा गया है महादेवी वर्मा का जन्म फखाबाद ( उत्तर प्रदेश ) के एक प्रतिष्ठित शिक्षित कायस्थ में वर्ष 1907 में हुआ था । इनकी माता हेमरानी हिन्दी व संस्कृत की ज्ञाता । साधारण कवयित्री थीं । नाना व माता के गुणों का प्रभाव ही महादेवी जी पर पड़ा नौ वर्ष की छोटी आयु में ही विवाह हो जाने के बावजूद इन्होंने अपना अध्ययन जारी रखा महादेवी वर्मा का दाम्पत्य जीवन सफल नहीं रहा । विवाह के बाद उन्होंने परीक्षाएँ सफलतापूर्वक उत्तीर्ण की । उन्होंने घर पर ही चित्रकला एवं संगीत की शिक्षा अर्जित की । इनकी उच्च शिक्षा प्रयाग में हुई । कुछ समय तक इन्होंने “ चाँद ” पत्रिका का समपादन किया इस महान लेखिका का स्वर्गवास 11 सितंबर 1987 को हो गया
(1). कवित्री कहती है कि मनुष्य के समक्ष है अकर्मण्यता एवं आलस्य जैसे अवगुण शत्रु बनकर खड़े हो जाते हैं वस्तुतः मनुष्य को जीवन में आने वाले दुखों एवं कठिन परिस्थितियों आदि को भूल कर अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में निरंतर आगे बढ़ते रहना चाहिए
(2).कवित्री का मानना है कि जब तक हृदय में से लक्ष्य को पाने की इच्छा नहीं होती तब तक मनुष्य की आंखों से टपकते आँसुओं का कोई मूल्य नहीं होता लक्ष्य को प्राप्त करने की तड़प ही मनुष्य को प्रेरित करती है और परमात्मा को पाने का साधन या माध्यम बनती है
(3).पतंगा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करता है और उसे प्राप्त करने के क्रम में समाप्त हो जाता है कवित्री पतंगे के इसी गुण से मनुष्य को अवगत कराने के लिए उसका उदाहरण देती है ताकि मनुष्य भी अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए अथक प्रयास करें
(4)."अंगार -शय्या पर मृदुल कालिया बिछाने" के माध्यम से कवित्री यह कहना चाहती है कि साधक तुझे अपनी तपस्या से संसार रूपी इस अंगारा-शय्या अर्थात कष्टों से भरे इस संसार में फूलों को कोमल कलियों जैसे आनंदमय परिस्थितियों का निर्माण करना है
(5).प्रस्तुत पद्यांश की भाषा तत्सम शब्दावली युक्त खड़ी बोली है जो भावों को अभिव्यक्त करने में पूर्णता सक्षम है भाषा सहज सरल प्रवाहमयी एवं प्रभावमयी है इस पद्यांश में लयात्मकता एवं तुकान्तता का गुण विद्यमान है जिसके कारण इसकी शैली के गेयात्मक हो गई है
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is pad ke Aadhar per Kavita ka aashay spasht kijiye
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