Social Sciences, asked by pavankumaritandiya, 1 day ago

कहा रूस में 1861 से 1940 के बीच किसानों की स्थिति में क्या क्या परिवतन आए ,? ​

Answers

Answered by windham32
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Answer:

और किसान को यह जमीन ऊंचे किराए पर मिलती थी। जार की पहल पर भू स्वामियों ने कुछ जमीन किसानों को दे दी मगर उसके लिए किसानों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। शासन की ओर से यह रकम भू स्वामियों को चुकाई गई और किसानों को इसे किस्तों में पटाना था।

Explanation:

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Answered by sahu34909
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Answer:

उत्तर- सन 1863 ई. तक रूस में कृषकों अर्ध दास के रूप में रखा गया था। किसान जमीन से बंधे थे और वे बिना भू स्वामियों की आज्ञा से दूसरे काम धंधे नहीं कर सकते थे या गांव छोड़कर नहीं जा सकते थे। सन 18 सो 61 ईस्वी में जार के घोषणा के बाद किसानों को इस प्रथा से मुक्ति तो मिली मगर तब भी जमीन भू स्वामियों के पास ही थी। और किसान को यह जमीन ऊंचे किराए पर मिलती थी। जार की पहल पर भू स्वामियों ने कुछ जमीन किसानों को दे दी मगर उसके लिए किसानों को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी। शासन की ओर से यह रकम भू स्वामियों को चुकाई गई और किसानों को इसे किस्तों में पटाना था। जब तक वह ऐसे पता नहीं देते उन्हें गांव छोड़कर जाने की अनुमति नहीं थी। सन 1937 तक कई पीढ़ियां बीतने पर भी किसान यह ऋण चुकाते रहे। कुल मिलाकर 18 सो 61 के सुधारों से भूस्वामि ही लाभान्वित हुए और किसान कानूनी रूप से आजाद तो हुए मगर आर्थिक रूप से और बुरे हालातों में फंस गए। कई किसान उद्योग में मजदूरी करने शहरों में चले गए। और कई किसान जार की सेना में भर्ती हो गए। अक्टूबर क्रांति 1937 के बाद लेनिन ने जमीन संबंधी ऐलान किया जिसमें भू स्वामियों की जमीन का स्पष्टीकरण और किसानों को जमीन वितरण का ऐलान किया गया हर गांव के गरीब किसानों की समितियों को वहां के भू स्वामियों की जमीन को आपस में बांटने का अधिकार दिया गया। 1997 के बाद भू स्वामियों की जमीन किसानों के बीच वितरित होने से अधिकांश कृषक मध्यम दर्जे के किसान बन गए और कुछ बड़े किसान भी थे। लेकिन खेती के तरीके अभी भी पारंपरिक थे। और उत्पादन कम था इस बात को देखते हुए स्टालिन ने कृषि में भारी बदलाव लाने की पहल की इसके तहत किसानों को कहा गया कि वे अपने अपने खेतों को मिलाकर विशाल सामूहिक फार्म बनाएं ताकि बड़े पैमाने में खेती की जा सके। और खेती में मशीनों व अन्य आधुनिक तरीकों का उपयोग किया जा सके छोटे व मध्यम किसान इसके लिए तैयार हो गए ।मगर ज्यादातर बड़े किसान और मध्यम किसानों ने इसका विरोध किया विरोध करने वालों पर जोर जबरदस्ती की गई। और वे लाखों की संख्या में गिरफ्तार किए गए कालापानी भेजे गए या मार दिए गए।

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