Hindi, asked by ashishaj41271, 4 months ago

Kaidi ki atmakatha in hindi

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Answered by muddassiraliansari
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Answer:

प्रस्तावना- मेरा नाम बृजेश शर्मा है। मैंने एम0काॅम तक शिक्षा पायी है। मैं सरकारी विभाग में एकाउंट का काम करता था। मैं बहुत ईमानदारी एवं कर्तव्यनिष्ठ था जिस कारण मेरे मित्र मुझे राजा हरिशचन्द्र की औलाद कहकर चिढ़ाया करते थे। मैंने अपने जीवन में कभी भी रिश्वत नहीं ली। मेरा मत था कि रिश्वत लेना पाप है।

मेरी आपबीती- एकाउन्ट विभाग में होने के कारण ठेकेदारों की पेमेन्ट के बिल में ही पूरी ईमानदारी से पास करता था। एक बार एक ठेकेदार ने मुझसे अवैध बिल पास करने के लिए कहा, जब मैंने उसका यह बिल करने से मना दिया तो उसने मुझ पर ऊपर से अधिकारियों का दवाब डलवाया लेकिन मैं दवाब में नही आया। उसने मुझ पर दवाब डालने के लिए हर सम्भव प्रयास किया, किन्तु वह अपने काम में सफल नहीं हुआ।

दुश्मनी का तरीका- अन्त में जब वह हताश हो गया तो उसने धोखे से मेरे घर नोटों का एक पैकेट रखवा दिया और पुलिस को सूचना कर दी। जब मैं आॅफिस से घर आया तो पुलिस के आला अधिकारियों को देखकर मैं हैरान हो गया। उस समय वे घर की तलाशी ले रहे थे। तलाशी लेते समय उन्हें नोटों का पैकेट मिला। पुलिस ने रिश्वत लेने के आरोप में मुझे गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया।

ईमानदारी का फल-मुझे अपनी ईमानदारी पर गर्व था इसीलिए मैंने जमानत पर छूटने से मना कर दिया, जिस कारण मुझे दो वर्ष की सजा सुनायी गयी। फिर मुझे जेल ले जाया गया तथा हत्या, चोरी, डकैती के अपराधियों के साथ रखा गया।

सुविधाहीन जेल का अनुभव- जेल में कोई सुविधा नहीं थी। पुलिस वाले कैदियों के साथ बहुत बुरा बर्ताव करते थे। दोनों समय ऐसा भोजन मिलता था कि उसे देखकर ही भूख भाग जाती थी। कुछ दिन तो मैंने खाना नहीं खाया लेकिन पेट भरने के लिए बाद में वही खाना खाना पड़ा। रात को नींद नहीं आती थी तथा पूरी रात मच्छर काटते रहते थे। बिस्तर में पड़े-पड़े तरह-तरह के विचार मन में उत्पन्न होते थे। उस ठेकेदार का चेहरा पूरी रात मेरी आंखों के सामने घूमता रहता था। ऐसा मन करता था कि जेल से छूटने के बाद उसकी हत्या कर दूं लेकिन बाद में यह विचार दब जाता था।

उपसंहार- एक दिन मेरा मित्र सुरेश जेल में मुझसे मिलने आया। मैंने उसे पूरी बात बताई। मेरी बात सुनकर वह वकील से मिला। वकील ने उच्च न्यायालय मंे अपील दायर की। पुनः सुनवाई हुई तथा मेरे मित्र और वकील की वजह से मैं स्वयं को निर्दोष साबित करने में सफल रहा।

मैं जेल से छूटकर जब घर आया तो लोगों की दृष्टि में वह सम्मान तथा आदर पाने में असमर्थ रहा जो वे लोग मुझे पहले दिया करते थे। वास्तव में एक कैदी की जिन्दगी बहुत बुरी होती है। मैं कभी भी इस दुःखभरी कहानी को याद नहीं करना चाहता।

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