कई बार मनुष्य जीवन का लक्ष्य निर्धा्रित करने के साथ-साथ किसी को अपना आदर्श भी मानता है, जिसके आदर्शों व सिद्धांतो से प्रेरीत होकर वह उसके जैसा बनना चाहता है । दिए गए संकेतों के आधार पर 'आदर्श /प्रेरक व्यकती ' पर 80-100 शब्दों में एक अनुछेद लिखिए-
सकेंत शब्द - 1.प्रसतावना 2.आदर्श व्यकती का नाम 3.आचारण व व्यवहार 4.उपलब्धियां 5.उपसंहार
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Answer:
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Explanation:
एक संत से पूछा कि महाराज यह रास्ता कहां जाता है? संत ने जवाब दिया कि ये रास्ता कहीं नहीं जाता है। आप बताइए कि आपको कहां जाना है? व्यक्ति ने कहा कि महाराज मुझे मालूम ही नहीं है कि जाना कहां है। संत ने कहा कि जब कोई लक्ष्य ही नहीं है तो फिर रास्ता कोई भी हो उससे क्या फर्क पड़ता है, आप भटकते रहिए। जिस व्यक्ति के जीवन में कोई लक्ष्य नहीं होता वह अपनी जिंदगी तो जीता है, लेकिन वह इसी राहगीर की तरह यहां-वहां भटकता रहता है। दूसरी ओर जीवन में लक्ष्य होने से मनुष्य को मालूम होता है कि उसे किस दिशा की ओर जाना है। वास्तव में असली जीवन उसी का है जो परिस्थितियों को बदलने का साहस रखता है और अपना लक्ष्य निर्धारित करके अपनी राह खुद बनाता है। महात्मा गांधी कहते हैं कि कुछ न करने से अच्छा है, कुछ करना। जो कुछ करता है, वही सफल-असफल होता है। हमारा लक्ष्य कुछ भी हो सकता है, क्योंकि हर इंसान अपनी क्षमताओं के अनुसार ही लक्ष्य तय करता है। विद्यार्थी के लिए परीक्षा में प्रथम आना तो नौकरी-पेशे वालों के लिए पदोन्नाति पाना, जबकि किसी गृहणी के लिए आत्मनिर्भर बनना उसका लक्ष्य हो सकता है। हालांकि हर मनुष्य को बड़ा लक्ष्य तय करना चाहिए, लेकिन उसे प्राप्त करने के लिए छोटे-छोटे लक्ष्य बनाने चाहिए। जब हम छोटे-छोटे लक्ष्य रखते हैं और उन्हें हासिल करते हैं तो हममें बड़े लक्ष्यों को हासिल करने का आत्मविश्वास आ जाता है।
Answer:
sorry dear but i don't know the ans but i will trry