Hindi, asked by jayabhalerao478, 2 months ago

ककार किसे कहते हैं ?​

Answers

Answered by YashodharPalav5109
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Answer:

ककार- संज्ञा पुलिंग [संस्कृत] व्यंजन का प्रथम वर्ण । 'क' अक्षर या उसकी ध्वनि ।

Answered by Mithalesh1602398
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Answer:

गुरू गोविंद सिंह जी ने 1699 ई. में खालसा के जन्म के समय ‘खण्डे बाटे का पाहुल, के साथ ही हर खालसे को पांच वस्तुएं धारण करने की सलाह दी। ये पांच वस्तुएं “क” अक्षर से शुरू होती है, इसलिए इनको कक्कार कहा जाता है। हर अमृतधारी सिक्ख के लिए पांच कक्कार को धारण करना अनिवार्य है। प्रत्येक सिक्ख के लिए पांच कक्कार एक समान ही है।

Explanation:

Step 1: केश गुरू की मोहर है। सिक्ख संगत केश को गुरू द्वारा दिया हुआ खजाना समझता है। सम्मपूर्णकेश को सम्भाल कर रखने वालो को ब्रह्ममंडी मनुष्य का प्रतीक माना जाता है। और गुरूवाणी में भी “सोहणें नक जिन लंमड़े वाल” कहकर इसकी स्तुति की गई है। गुरू गोविंद सिंह जी ने इस ब्रह्ममंडी मनुष्य की शक्ल में खालसा की स्थापना की थी। केश रखने का मतलब गुरू के हुक्म में चलना है, और जो रूप परमात्मा ने दिया है, सिक्खों ने उसको संभाला है।

Step 2: केशो की सफाई के लिए कंघे को केशो में रखने के लिए कहा गया है। ताकि केशो को साफ सुथरा रख कर इनकों जटाएं बनने से रोका जा सके, क्योंकि जटाएँ संसार को त्यागने का प्रतीक हैं, जो कि सिक्ख धर्म के अनुकूल नहीं है।

Step 3: कड़ा लोहे का होता है, जो आमतौर पर दाहिने हाथ की कलाई पर पहना जता है। कड़ा साबित करता है कि सिक्ख वहम भ्रम नहीं करता और गुरू के हुक्म में रहता है। प्रत्येक खालसे को कच्छहरा डालने का आदेश है। यह उसके ऊंचे शुद्ध आचरण का प्रतीक है। कच्छहरा रेबदार होता है और जांघों को घुटनों तक ढकता है। कच्छहरा डालना भारतीय जाति धर्म में नग्न रहने की प्रथा को रोकता है।

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