कलाली के हाथ में लिया हुआ दूध भी क्या समझा जाता हैै ? *
Answers
कलाली के हाथ में लिया दूध भी ‘मदिरा’ के समान मान लिया जाता है।
कलाली शराब बेचने वाले को कहते है। यदि शराब बेचने के वाले के हाथ में दूध भरा गिलास भी तो भी लोग उसे शराब ही समझेंगे।
कहने के तात्पर्य ये है कि बुरे कार्य करने वाले लोगों की संगत से दूर रहो। उनकी संगत में रहोगे तो कितना भी सही होने पर भी लोग गलत आपको गलत ही समझेंगे।
कवि वृन्द कहते हैं....
जिहि प्रसंग दूषण लगे तजिए ताको साथ।
मदिरा मानत है जगत दूध कलाली हाथ॥
अर्थात कवि वृन्द कहते हैं कि जो वस्तु हानिकारक है, पता जिससे अपना नुकसान होता है, उसका त्याग तुरंत कर देना चाहिए। किसी बुरे कार्य करने वाले असामाजिक व्यक्ति के साथ क्षण भर भी साथ में नहीं रहना चाहिए। ना ही उसके साथ कहीं आना जाना चाहिए। शराब बेचने वाले के हाथ में भले ही दूध का गिलास हो, लेकिन लोग उसे शराब का गिलास ही समझेंगे, उसी तरह भले ही आप स्वयं कितने भी अच्छे हों, लेकिन यदि आप गलत कार्य करने वाले के साथ खड़े रहेंगे, तो लोग आपको भी गलत ही समझेंगे।
रहीमदास कहते हैं...
रहिमन नीचन संग बसि, लगत कलंक न काहि।
दूध कलारी कर गहे, मद समुझै सब ताहि।।
अर्थात रहीमदास कहते हैं. नीच लोगों की संगत बड़ी अशुभ होती है। निकृष्ट और गलत प्रवृत्ति के लोगों की संगत में रहकर हमेशा अपयश यानि बदनामी ही मिलती है। जिस तरह कोयले की कोठरी में जाकर कालिख लगने से नहीं बचा जा सकता। उसी तरह नीच लोगों की संगत में रहकर कलंक लगने से नहीं बचा जा सकता। जो व्यक्ति नीच लोगों व्यक्तियों के साथ रहता है, वह भी निकृष्ट ही कहलाता है। बिल्कुल उसी तरह से जैसे शराब बेचने वाला भले दूध से भरी मटकी लेकर जा रहा हो, लेकिन लोग यही समझेंगे कि वह शराब लेकर जा रहा है।
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