कमीज़ ना होने पर लोग पाव से पेट क्यू ढक लेते थे
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Yaha ke log itna din hin, svikarvadi aur yathsthi vivadi ho chuke hai ki ve apne adhikaro ke liye sangharsh nhi karte baki ve apne me sikudkar Jaise taise Jine ko apni niyati Bana late hai unme sang harsh ki karna mar chuki hai
कमीज़ ना होने पर लोग पाव से पेट क्यू ढक लेते थे :
कमीज ना होने पर लोग पाँव से पेट इसलिए ढक लेते थे, क्योंकि इससे वे अपनी कमजोरियों और अभावों को छुपा लेते थे और जाहिर नही करते थे। वह अपने अभावों और अपनी कमजोरी को दर्शाने नहीं चाहते इसीलिए वह पाँव से पेट को ढक लेते थे।
व्याख्या :
दुष्यंत कुमार की कविता ‘साए में धूप’ में कवि कहता है।
न हो कमीज तो पाँव से पेट ढक लेंगे,
यह लोग कितने मुनसिब हैं, इस सफर के लिए
यानी कि यदि लोगों के पास पहनने के लिए कमीज नहीं है तो भी हम पाँवो को मोड़ कर अपने पेट को ढक लेंगे यानी हमारे पास अगर जीवन में पर्याप्त सुविधा नहीं है, तो भी हम अपने अभावों से किसी तरह उनसे सामंजस्य बैठाकर अपनी कमजोरियों को जाहिर नहीं करेंगे।