Hindi, asked by sukrit59, 8 months ago

कमरी' थोरे दाम की, बहुतै आवै काम।
खासा मलमल वापता, उनकर राखैमान।।
उनकर राखै मान, बँद जहँ आड़े आवै।।
बकुचा बाँधे मोट, राति को झारि बिछावै।।
कह 'गिरिधर कविराय', मिलत है थोरे दमरी।
सब दिन राखै साथ, बड़ी मर्यादा कमरी।।2।।​

Answers

Answered by unnatidubey971
6

Answer:

Hey mate

Explanation:

Here is your answer उपर्युक्त कुंडली में गिरिधर कविराय ने कंबल के महत्त्व को प्रतिपादित करने का प्रयास किया है। कंबल बहुत ही सस्ते दामों में मिलता है परन्तु वह हमारे ओढने, बिछाने आदि सभी कामों में आता है। वहीं दूसरी तरफ मलमल की रज़ाई देखने में सुंदर और मुलायम होती है किन्तु यात्रा करते समय उसे साथ रखने में बड़ी परेशानी होती है। कंबल को किसी भी तरह बाँधकर उसकी छोटी-सी गठरी बनाकर अपने पास रख सकते हैं और ज़रूरत पड़ने पर रात में उसे बिछाकर सो सकते हैं। अत: कवि कहते हैं कि भले ही कंबल की कीमत कम है परन्तु उसे साथ रखने पर हम सुविधानुसार समय-समय पर उसका प्रयोग कर सकते हैं।

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