कमरतोड़ महंगाई पर हिंदी में निबंध
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महंगाई का अर्थ होता है- वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। महंगाई एक ऐसा शब्द होता है जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते हैं। ... हमारी आवश्यकता की वस्तुएँ बहुत महंगी आती हैं और कभी-कभी तो वस्तुएँ बाजार से ही लुप्त हो जाती हैं। लोग अपनी तनखा में वृद्धि की मांग करते हैं लेकिन देश के पास धन नहीं है।..
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महंगाई पर निबंध :
महंगाई का अर्थ होता है- वस्तुओं की कीमत में वृद्धि होना। महंगाई एक ऐसा शब्द होता है जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव आते हैं। महंगाई मनुष्य की आजीविका को भी प्रभावित करता है। आज तक समाज में महंगाई और मुद्रा-स्फीति बहुत ही बड़ी समस्या है।
हमारी आवश्यकता की वस्तुएँ बहुत महंगी आती हैं और कभी-कभी तो वस्तुएँ बाजार से ही लुप्त हो जाती हैं। लोग अपनी तनखा में वृद्धि की मांग करते हैं लेकिन देश के पास धन नहीं है। सिक्के की कीमत घटती जाती है और महंगाई बढती जाती है।
भारत में महंगाई के कारण :
महंगाई के बढने के अनेक कारण होते हैं। महंगाई की समस्या हमारे ही नहीं बल्कि पूरे संसार की एक बहुत ही गंभीर समस्या है जो लगातार बढती जा रही है। आर्थिक समस्याओं की वजह से बहुत से देश महंगाई की समस्या से मुक्त नहीं हो पा रहे हैं। हमारा भारत एक विशाल देश है जनसंख्या की दृष्टि से यह दूसरे नंबर पर आता है।
हमारे देश में जिस तरह से जनसंख्या बढ़ रही है उस तरह से फसलों की पैदावार नहीं हो रही है। पिछली 2-3 सालों से फसलों की पैदावार में आशा से अधिक वृद्धि हो रही है लेकीन हर साल एक नया ऑस्ट्रेलिया भी बन रहा है। देश में अतिवृष्टि और अनावृष्टि दोनों की वजह से ही अन्न की कमी हो रही है।
इसी वजह से हमें कभी-कभी विदेशों से अनाज मंगवाना पड़ता है। हमारा देश कृषि प्रधान देश है लेकिन फिर भी देश की समूची अर्थव्यवस्था की वजह से भी कृषि अच्छी वर्षा पर निर्भर करती है। बिजली उत्पादन भी महंगाई को प्रभावित करता है। भारत सरकार ने वस्तुओं की कीमतों को घटाने के आश्वाशन दिए थे लेकिन कीमतों को घटाने की जगह पर और अधिक बढ़ा दिया।
उपज की कमी से भी महंगाई बढती जाती है। जब सूखा पड़ने, बाढ़ आने और किसी वजह से जब उपज में कमी हो जाती है तो महंगाई का बढना तो आम बात हो जाती है। यह बहुत ही दुःख की बात है कि हमारी आजादी के इतने सालों बाद भी किसानों को खेती करने के लिए सुविधाएँ प्राप्त नहीं हैं।
बड़े-बड़े भवन बनाने की जगह पर कृषि की योजनाएँ बनाना और उन्हें सफल करना जरूरी है। हम लोग जानते हैं कि सरकारी कागजों में कुएँ खुदवाने के लिए व्यय तो दिया गया था पर वे कुएँ कभी नहीं खुदवाये गये थे।
दोषपूर्ण वितरण प्रणाली :
हम लोग कई बार देखते हैं कि अच्छा उत्पादन होने के बाद भी वस्तुएँ नहीं मिलती हैं अगर मिलती भी हैं तो वे महंगी होती हैं। इसकी दोषी हमारी वितरण प्रणाली होती है। हमें कई बार उदाहरण भी देखने को मिले हैं कि भ्रष्ट लोगों और व्यापारियों की वजह से ही महंगाई बढती आ रही है। ऐसे लोगों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई करने की जरूरत होती है।
व्यापारियों को कभी भी मनमानी करने का मौका नहीं मिलना चाहिए। इस तरह के वितरण के काम को सरकार को अपने हाथों में लेना चाहिए और ईमानदार लोगों को यह काम सौंपना चाहिए। उपजों में सरकार ने बढ़ोतरी करके भी देखी हैं लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होता है वस्तु की कीमत फिर भी उतनी ही रहती है घटती नहीं है। हमारी वितरण प्रणाली में ऐसा दोष होता है जो लोगों की मुश्किलें बढ़ा देता है।
जिम्मेदार :
हमारे देश के अमीर लोग इस महंगाई के सबसे अधिक जिम्मेदार होते हैं। आपात काल के शुरू-शुरू में तो वस्तुओं की कीमते कम करने की परंपरा चली लेकिन व्यापारी फिर से अपनी मनमानी करने लगे। जो तेल-उत्पादक देश होते हैं उन्होंने भी तेल की कीमत बढ़ा दी है जिससे महंगाई और अधिक बढ़ गई है। अफसरशाही, नेता, व्यापारी ये सभी महंगाई को बढ़ाने के लिए बहुत अधिक जिम्मेदार हैं।
महंगाई को रोकने के उपाय :
अगर कोशिश की जाये तो भारत में महंगाई को रोका भी जा सकता है। सबसे पहले सरकार को मुद्रा-स्फीति पर रोक लगानी होगी और बजट घाटों को बनाना बंद करना होगा। हमारे लिए यह बहुत दुःख की बात है कि आज तक किसानों को सिंचाई के लिए आधुनिक साधन प्राप्त नहीं हुए हैं।
सरकार को बड़े-बड़े नगरों के विकास की जगह पर गांवों के विकास पर अधिक ध्यान देना चाहिए। पूरे देश के लिए एक तरह की सिंचाई व्यवस्था का आयोजन होना चाहिए। महंगाई को रोकने के लिए समय-समय पर हड़तालें और आंदोलन चलाये गये हैं। महंगाई की वजह से गरीब लोग पहनने के लिए कपड़े नहीं खरीद पाते हैं वे अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए गलत रास्ते पर चल सकते हैं इसीलिए गरीबों के लिए कम दाम में वस्तुएँ उपलब्ध करनी चाहिएँ।
सरकार को कालाबाजारी, जमाखोरों को रोकने के लिए बहुत ही सख्त कानून बनाने चाहिएँ। महंगाई को खत्म करने के लिए जनता को भी सरकार का साथ देना चाहिए। जनता का कर्तव्य है कि महंगी चीजों से दूर रहे उसे महंगाई से होने वाली समस्याओं के बारे में सोचना चाहिए।
समुचित वितरण की व्यवस्था :
जरूरत की चीजों के उपभोग के समुचित वितरण के लिए बहुत से कानून बनाए गये हैं। हर जगह में खाद्यानों की पूर्ति के लिए खाद्यान आपूर्ति विभाग स्थापित किये गये हैं। जगह-जगह पर राशन की दुकानों को खोला गया है। अगर खाद्यान वितरण की व्यवस्था समुचित हो तो महंगाई को रोका जा सकता है लेकिन ऐसा होता नहीं है।
व्यापारी का एक मात्र लक्ष्य धन कमाना होता है वह इसके लिए अलग-अलग तरह के रास्ते निकालता रहता है। इस सब को देखकर ऐसा लगता है जैसे भ्रष्टाचार का साँप भी यहाँ पर अपना विष घोलता रहता है। जो लोग वितरण व्यवस्था के अधिकारी होते हैं वे अपनी जिम्मेदारी का पालन नहीं करते हैं। इसका परिणाम यह निकलता है कि दुकानदार जरुरतमंद वस्तुओं का संग्रह कर लेता है और अधिक-से-अधिक मूल्य में उसे बेचता है।
उपसंहार :
महंगाई को कम करने के लिए उपयोगी राष्ट्र नीति की जरूरत है। जैसे-जैसे जनसंख्या बढ़ रही है उस तरीके से महंगाई को रोकना बहुत ही जरूरी है नहीं तो हमारी आजादी को दुबारा से खतरा पैदा हो जायेगा।
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