कमववीर पुरुष दुख भोगकर भी नहीं पछताते हैं; क्योंदक-
(क) दुख भोगना चाहते हैं।
(ख) वे जानते हैं दक मनुष्य का जीवन दुख भोगने के वलए होता है ।
(ग) उनमें दुखों में भी ववचवलत हुए वबना लक्ष्य को प्राि करने की धुन होती है ।
(घ) वे दुखों के वलए संघषव करते हैं ।
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(ग) उनमें दुखों में भी ववचवलत हुए वबना लक्ष्य को प्राि करने की धुन होती है ।
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