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पाठ प्रवेश
यह कहानी कामचोर अर्थात् आलसी बच्चों की है। बच्चे अक्सर काम से जी चुराते हैं उन्हें खेलने-कूदने और मस्ती करने में ही आनंद आता है। इस कहानी में बताया गया है कि अगर सही दिशा निर्देश अर्थात् सही तरीका उन्हें न बताया जाए तो बच्चे सही तरीके से काम नहीं करते हैं अर्थात् बच्चों को उन्हें काम करने का तरीका सिखाना बहुत ही जरूरी है। काम सही तरीके से न होने से क्या-क्या परेशानियाँ घरवालों को होती है, इस पाठ में बताया गया है और बहुत ही मजेदार तरीके से बता गया है कि क्या-क्या होता है, जब उन्हें काम करने के लिए कहा जाता है।
कामचोर – पाठ व्याख्या
बड़ी देर के वाद-विवाद के बाद यह तय हुआ कि सचमुच नौकरों को निकाल दिया जाए। आखिर, ये मोटे-मोटे किस काम के हैं! हिलकर पानी नहीं पीते। इन्हें अपना काम खुद करने की आदत होनी चाहिए। कामचोर कहीं के!
वाद-विवाद – बहस
खुद – अपने आप
कामचोर – आलसी
पाठ-सार
इस कहानी द्वारा लेखिका यह बताती है कि किसी कामचोर बच्चे से काम कराने से पहले सही तरीके से उसे काम करना सीखना चाहिए नहीं तो सब उल्टा-पुलटा हो जाता है। प्रस्तुत पाठ ‘कामचोर’ में भी जब बच्चों को घर के कुछ काम जैसे गन्दी दरी को झाड़ कर साफ करना, आँगन में पड़े कूड़े को साफ़ करना, पेड़ों में पानी देना आदि बताए गए और कहा गया कि अगर वे यह सब काम करेंगे तो उन्हें कुछ-न-कुछ ईनाम के तौर पर मिलेगा। ईनाम के लालच में बच्चों ने घर के काम करने की ठान ली। परन्तु बच्चों ने जब कोई भी कोई भी काम करना शुरू किया किसी भी काम को सही से खत्म करने के बजाए उन्होंने सारे कामों को और ज्यादा ख़राब कर दिया। जिससे घर के सभी सदस्य परेशान हो गए और बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया और कहा कि अगर अब किसी भी बच्चे ने घर के किसी भी सामान को हाथ लगाया तो उन्हें रात का खाना नहीं मिलेगा। इस पर बच्चों को समझ नहीं आ रहा था कि घर वाले न तो उन्हें काम करने देते हैं और न ही बैठे रहने देते हैं। लेखिका के अनुसार ऐसा इसलिए हो रहा था क्योंकि घर वालों ने बच्चों को काम तो बता दिए थे परन्तु काम करने का सही तरीका नहीं समझाया था।
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hi
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