कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी ने प. मदन मोहन मालवीय जी से क्या सीखा
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¿ कन्हैयालाल मिश्र "प्रभाकर" जी ने प. मदन मोहन मालवीय जी से क्या सीखा ?
✎... कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर जी ने पंडित मदन मोहन मालवीय से यह सीखा कि अपने विनम्र व्यवहार कुशलता से किसी का भी दिल जीत जीता जा सकता है। पंडित मदन मोहन मालवीय ने एक मुलाकात में प्रभाकर जी को यह मूल्यवान मंत्र दिया था कि देश के हर द्वार पर दान देने वाला खड़ा है, खुली थैली लिए किसी योग्य पात्र की तलाश में, लेकिन दान देने वाले से दान लेने के लिए विनम्रता अपनानी जरूरी है। ऐसे-ऐसे उदार दानी लोग हैं जो अच्छे कार्य के लिए दान देने के लिए तैयार हैं। यदि कहीं कमी है, तो उन गुणी व्यक्तियों की है, जिन्हें दान दिया जा सके। यदि व्यक्ति में गुण है, विनम्रता है तो कोई भी उसकी सहायता करने के लिए सहज तत्पर हो जाता है। लेकिन यदि व्यक्ति में अकड़ है, अहंकार है, तो कोई सहायता करने में समर्थ व्यक्ति या दान देने में समर्थ व्यक्ति भी उसकी सहायता नहीं करेगा।
पंडित मदन मोहन मालवीय की इस बात से कन्हैयालाल मिश्र प्रभाकर को यह सीख मिली कि विनम्रता और व्यवहार कुशलता ही सबका दिल जीतने का सफल मूल मंत्र है। विनम्रता और व्यवहार कुशलता अपनाकर किसी भी प्रतिकूल परिस्थिति को अनुकूल किया जा सकता है।
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