'कन्यादान' किस प्रकार की कविता है?
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कन्यादान ऋतुराज Kanyadan Rituraj. व्याख्या - प्रस्तुत कविता में कवि कहते हैं कि कन्यादान के समय माँ का दुःख बहुत ही प्रामाणिक था। कन्यादान की रस्म में माँ विवाह के समय अपनी बेटी को किसी पराए को दान दे रही हैं।
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