कन्यादान कविता का मूल भाव लिखिए
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इस कविता में उस दृश्य का वर्णन है जब एक माँ अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है। बेटियाँ ब्याह के बाद पराई हो जाती हैं। जिस बेटी को कोई भी माता पिता बड़े जतन से पाल पोसकर बड़ी करते हैं, वह शादी के बाद दूसरे घर की सदस्य हो जाती है। इसके बाद बेटी अपने माँ बाप के लिए एक मेहमान बन जाती है। इसलिए लड़की के लिए कन्यादान शब्द का प्रयोग किया जाता है। जाहिर है कि जिस संतान को किसी माँ ने इतने जतन से पाल पोस कर बड़ा किया हो, उसे किसी अन्य को सौंपने में गहरी पीड़ा होती है। बच्चे को पालने में माँ को कहीं अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है, इसलिए उसे दान करते वक्त लगता है कि वह अपनी आखिरी जमा पूँजी किसी और को सौंप रही हो।
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Explanaइस कविता में उस दृश्य का वर्णन है जब एक मां अपनी बेटी का कन्यादान कर रही है बेटियां विवाह के बाद पराई हो जाती हैं जिस बेटी को कोई भी माता-पिता बड़े जतन से पहुंचकर बड़ी करते हैं वह शादी के बाद दूसरे की घर की सदस्य हो जाती है इसके बाद बेटी अपने मां-बाप के लिए एक मेहमान बन जाती है बच्चे को पालने में मां को कहीं अधिक दर्द का सामना करना पड़ता है इसलिए उसे दान करते वक्त लगता है कि वह अपनी मां की आखिरी जमा पूंजी किसी और को सौंप रही हो