Hindi, asked by 9660090012, 3 months ago

'कन्यादान' कविता का व्यंग्यार्थ स्पष्ट कीजिए।

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Answered by reenakesharwani157
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Answer:

कन्यादान कविता माँ अपनी बेटी के बारे बतातीं है कि उसे अभी सांसारिक व्यवहार का, जीवन के कठोर यथार्थ का ज्ञान नहीं था। बस उसे वैवाहिक सुखों के बारे में थोड़ा-सा ज्ञान था। जीवन के प्रति लड़की की समझ सीमित थी। अर्थात् वह विवाहोपरांत आने वाली कठिनाइयों से परिचित नहीं थी।

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