कन्यादान कविता में किस के दुख को प्रमाणिक बताया गया है और क्यों?
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वह माँ के सुख-दुख की साथी थी। इसीलिए वह माँ की आखिरी पूँजी की तरह थी। माँ को इस बात की चिंता थी कि दुनियादारी से अपरिचित उसकी भोली-भाली बेटी भावी जीवन की कठिनाइयों का सामना कैसे कर सकेगी। ... इसी कारण कन्यादान के समय माँ के दुख को प्रामाणिक कहा गया है।
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