Hindi, asked by tanishkasharma769, 2 months ago

kancho ko dekh Kar Apu ki kya halat hui​

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Answered by Anonymous
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उत्तर:-

कंचे जब जार से निकलकर अप्पू के मन की कल्पना में समा जाते हैं तो वह उनकी ओर पूरी तरह से सम्मोहित हो जाता है। उसे लगता है की जैसे कंचों का जार बड़ा होकर आसमान-सा बड़ा हो गया और वह उसके भीतर चला गया। वहाँ और कोई नहीं था। वह अकेला ही कंचे चारों ओर बिखेरता हुआ मजे से खेल रहा था। हरी लकीर वाले सफ़ेद आँवले से गोल कंचे उसके दिमाग में पूरी तरह छा गए। मास्टर जी कक्षा में पाठ “रेलगाड़ी” का पढ़ा रहे थे लेकिन उसके दिमाग में कंचों का खेल चल रहा था। उसे मास्टरजी द्वारा बनाया गया बॉयलर भी कंचे का जार ही नज़र आता है। उसने कंचों के चक्कर में मास्टर जी से डाँट भी खाई लेकिन उसका दिमाग तो केवल कंचों के बारे में ही लगा हुआ था।

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Answered by Anonymous
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