कर इज्जत कमाना चाहते है कोई धन तो कोई पद आदि. कोई डॉक्टर, इंजीनियर, कोई शिक्षक या वैज्ञानिक बनने के सपने देखता हैं. हम जैसे बनना चाहते है हमारे सपने भी उसी के अनुरूप होते हैं मानव सेवा में रूचि रखने वाले डॉक्टर और समाजसेवी बनना पसंद करते है तो शिक्षा शिक्षण में रूचि रखने वाले शिक्षक बनना चाहते हैं. सपनों को हकीकत में तभी बदला जा सकता हैं जब हम पूर्ण निष्ठा के साथ उसे पूरा करने के प्रयासों में जुट जाए.
मैं भी उन्ही लोगों में से हूँ जो सपने देखना पसंद करते है तथा जीवन में उन्हें साकार करने का यत्न करते हैं इंसान अपनी आयु, समझ तथा रूचि के अनुसार सपने देखता हैं. यह परिवर्तनशील है यथा बचपन से लेकर आज तक मेरे कई सपनों की श्रंखला रही हैं जिनमें से कुछ पूर्ण हुए तो कुछ नयें भी बने. कभी कक्षा में टॉप करने का सपना देखा तो वह पूर्ण हुआ, उच्च शिक्षा, अच्छा मोबाइल ये छोटी छोटी इच्छाएं भी बचपन में एक सपने के सद्रश्य ही थी. मगर जब समझ विकसित होने लगती है तो कुछ अच्छा व बड़ा करने का जूनून पालने लगते हैं ये ही सपने होते हैं.
मेरे स्कूल की शिक्षा पूरी होते ही शिक्षक परीक्षण डिप्लोमा के बाद शिक्षक बनने का सपना जगा, जो आज तक मुझे सोने नहीं देता, इस सपने को साकार करने के दो बड़े अवसर भी हाथ लगे मगर नाकामी मिली. नाकामी से हताश होने की बजाय उसे लक्ष्य प्राप्ति की राह मानकर मैं फिर से शिक्षक बनने के सपने को साकार करने में लगा हूँ. बचपन से तो नहीं मगर बड़े होते होते मुझे शिक्षण का प्रोफेशन सबसे अधिक पसंद आया. मेरा जीवन हमेशा यथार्थ से हटकर आदर्शवादी उन्मुख रहता हैं. समाज सुधार का माध्यम केवल और केवल शिक्षा ही हो सकती हैं. यदि हमारे बच्चों को प्राथमिक स्तर से गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाए तो निश्चय ही हम एक आधुनिक समाज की नीव रखने में सफल हो सकते हैं.
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