Hindi, asked by rinkigupta7, 8 months ago

कर्म की प्रधानता या कर्म ही जीवन हैं विषय पर 80-100 शब्दों में अनुच्छेद लिखिए।

Please do this .... in hindi

Answers

Answered by LiteracyEducation
5

Explanation:

कर्म हिंदू धर्म की वह अवधारणा है, जो एक प्रणाली के माध्यम से कार्य-कारण के सिद्धांत की व्याख्या करती है, जहां पिछले हितकर कार्यों का हितकर प्रभाव और हानिकर कार्यों का हानिकर प्रभाव प्राप्त होता है, जो पुनर्जन्म का एक चक्र बनाते हुए आत्मा के जीवन में पुन: अवतरण या पुनर्जन्म की क्रियाओं और प्रतिक्रियाओं की एक प्रणाली की रचना करती है। कहा जाता है कि कार्य-कारण सिद्धांत न केवल भौतिक दुनिया में लागू होता है, बल्कि हमारे विचारों, शब्दों, कार्यों और उन कार्यों पर भी लागू होता है जो हमारे निर्देशों पर दूसरे किया करते हैं।  जब पुनर्जन्म का चक्र समाप्त हो जाता है, तब कहा जाता है कि उस व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है, या संसार से मुक्ति मिलती है। सभी पुनर्जन्म मानव योनि में ही नहीं होते हैं। कहते हैं कि पृथ्वी पर जन्म और मृत्यु का चक्र 84 लाख योनियों में चलता रहता है, लेकिन केवल मानव योनि में ही इस चक्र से बाहर निकलना संभव है।

Answered by darshikag2008
3

Answer:

मानव जिंदगी व्यवस्थित चलाने के पर्याय मात्र है ।

लेकिन कर्म की प्रधानता मनुष्य को मन चाहे मुकाम

तक जाने के लिये सबसे अच्छा सुलभ हथियार है ।।

दुनियां में यश-अपयश,मान-अपमान,दुःख-सुख,जो भी

दिखलाई पड़ता है वो सब कर्म का ही प्रतिफल है ।

आपने किस जाति परिवार में जन्म लिया ये सब मायनें नहीं रखता है,

किंतु आपका कार्य मायनें रखता है ।।

आपकी कार्य शैली,भाषा शैली,व्यवहार,शिक्षा व ईमानदारी

आपको समाज के बीच एक मुकाम दिलाती है ।

आपके श्रेष्ट कर्म ही आपको निम्न वर्ण से उच्च वर्ण में

प्रविष्टि दिलाते है और आपको उच्चवर्ण का गौरव

प्राप्त होता है ।।

Similar questions