कर्म और महत्व पर निबंध
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कर्म करने से ही मनुष्य की गति होती है। कर्म को बिना मनुष्य इस पृथ्वी पर कुछ भी हासिल नहीं कर सकता है। मनुष्य का फर्ज है कर्म करना और उसके कर्मों का फल ही उसे अच्छे या बुरे परिणाम के रूप में मिलता है। मनुष्य के लिए कर्म ही उसकी पूजा है क्योंकि वह अपने कर्मों से ही प्रभू के द्वारा जाना जाता है।
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जीवन में कर्म अर्थात कार्य करने का अर्थ है सच्ची लग्न निष्ठा मेहनत तथा ईमानदारी से अपने दायित्वों को पूर्ण करना, कार्य का बड़ा महत्व हैं, इसके बिना जीवन का कोई सार नहीं हैं. ... जो इन्सान संसार से बंधन से मुक्त हो चूका है उसे भी निरंतर कार्य करके कर्मयोगी बनना चाहिए. निरंतर कार्य में लगा रहना ही सच्ची सफलता का सूत्र हैं.
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