कर्मवाच्य और भाववाच्य का उदाहरण देते हुए अंतर स्पष्ट कीजिए | plz answered
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सरल शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में कर्म प्रधान हो, उसे कर्मवाच्य कहते हैं। ... दूसरे शब्दों में- क्रिया के जिस रूप में न तो कर्ता की प्रधानता हो न कर्म की, बल्कि क्रिया का भाव ही प्रधान हो, वहाँ भाववाच्य होता है। उदाहरण के लिए- मोहन से टहला भी नहीं जाता।
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कर्मवाच्य और भाववाच्य का उदाहरण देते हुए अंतर निम्न प्रकार से स्पष्ट किया गया है।
- कर्मवाच्य कर्मवाच्य वे वाक्य होते है जिनमें कर्ता की प्रधानता नहीं होती , उसके स्थान पर कर्म प्रधान होता है तथा कर्ता गौण होता है ।
- इस प्रकार के वाक्यों में क्रिया का प्रयोग कर्म के वचन , लिंग व पुरुष के अनुसार होता है।
- सैनिक लड़ाई में मारा गया उस वाक्य में कर्म लड़ाई की प्रधानता है अतः यह कर्मवाच्य है।
- भाववाच्य : भाववाच्य वे वाक्य होते है जिनमे कर्ता की प्रधानता नहीं होती व उसके स्थान पर अकर्मक क्रिया प्रधान होती है।
- इस प्रकार के वाक्यों में क्रिया का रूपांतर किया जाता है व भाव को प्रधानता दी जाती है।
- भाववाच्य के उदाहरण :
- राम से चला नहीं जाता।
- सुरेश से उठा नहीं जाता।
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