(७) करनी का फल
एक मुर्गा -- रोज़ सबेरे बोलना (बांग देना) आलसी पड़ोसी की ईमा
मनोहर का गाँव से बाहर जाना मुर्गे को मारना मुर्गे बालों का
अनियमित उठना
पड़ोसी की नीद खराब होना मुर्गे को मारने का
शिक्षा।
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Answer:
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दिए गए मुद्दे पर कहानी लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
एक गांव में मनोहर नाम का एक आदमी रहता था। उसने अपने घर में मुर्गा पाला हुआ था। रोज सवेरे मुर्गा बांग दिया करता था। घर वाले मुर्गे की बांग से उठ जाते थे। मनोहर का एक पड़ोसी था जिसे मुर्गे का बांग देना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि वह आलसी था। मुर्गे की बांग के कारण उसकी नींद खराब होती थी।उसने मुर्गे को मारने का निश्चय किया।
एक दिन मनोहर किसी काम से गांव से बाहर गया हुआ था। पड़ोसी को अच्छा मौका लगा उसने मनोहर के मुर्गे को मार दिया।
अब मुर्गे के मर जाने से मनोहर के घर वाले अनियमित उठने लगे क्योंकि वे लोग मुर्गे की बांग से उठते थे।
मनोहर के घरवाले एक बड़ी घड़ी ले आए, जो मुर्गे की आवाज में हर सुबह मुर्गे की बांग से भी जोर जोर से बजती थी। अब तो पड़ोसी को और परेशानी होने लगी।
उसे मुर्गे को मारने की सजा मिली थी।
शीर्षक : इस कहानी का उचित शीर्षक होगा
" आलसी पड़ोसी " ।
शिक्षा : हम जो भी बुरा काम करते है हमें हमारी करनी का फल अवश्य मिलता है ।
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