'karat karat abhyas ke jadmati hot sujan'is yukti ka prayog karke apne vichar likhiye aur muhvaro ko rekhankit kijiye
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Answer:करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान।
रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।’
अर्थात् जिस प्रकार कुएँ की जगत की शिला पर पानी खींचने वाली रस्सी के बार-बार आने-जाने से निशान अंकित हो जाते है, उसी प्रकार निरंतर अभ्यास करते रहने से जड़मति अर्थात भुद्दिहिन भी सुजान अर्थात भुद्दिमान बन जाता है। कहने का भाव यह है कि लगातार परिश्रम और लगन के द्वारा असंभव समझे जाने वाले कार्यों को भी संभव किया जा सकता है। सतत् अभ्यास मनुष्य को सफलता की ऊँची-से-ऊँची सीढ़ियों तक ले जाता है।
इसमें कोई संदेह नहीं कि इस संसार में जन्म से कोई विद्वान् बनकर नहीं आता। सभी लोग अनजान और अबोध होते है। यह तो उनके सतत् अभ्यास का फल होता है कि वे विद्वान, महान् या शक्तिशाली बन जाते हैं। अभ्यास आत्मविकास का सर्वो । साधन है। यदि एक बार असफल हो भी जाए तो बार-बार के श्रम से सफलता प्राप्त की जा सकती है। एक छोटा बच्चा बार-बा गिरगिर कर चलना सीख जाता है, घुड़सवार बार-बार घोड़े से गिरकर ही सवारी करना सीखता है। शरीर के जिस अंग से काम लिया जाए, वह अंग बलिष्ट हो जाता हैऔर जिस अंग का प्रयोग न किआ जाए, वह कमजोर रह जाता है।
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