करत करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान। रसरी आवत जात ते, सिल पर परत निसान।
who wrote this doha
Answers
Answered by
0
Answer:
यह दोहा कवि वृन्द जी की 'वृंद-सतसई' से है.
Answered by
0
Kabir das ji ne yeh doha likha hai
Similar questions