करता था सो क्यों किया अब करि क्यों पछताय बोया पेड़ बबूल का आम कहां से खाए इस दोहे में कबीर दास जी क्या कहना चाहते हैं
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करता था सो क्यों किया अब करि क्यों पछताय बोया पेड़ बबूल का आम कहां से खाए इस दोहे में कबीर दास जी क्या कहना चाहते हैं |
कबीर जी कहते , पंक्तियाँ इस बात समझाना चाहते है , बुरे कार्य करते समय बहुत आनंद आता है लेकिन जब उसके परिणाम आते है तब सब कुछ याद आता है |
हे मनुष्य जब भी तू बुरे कार्य करता था , संतों के समझाने पर भी तू नहीं समझता अब क्यों पछता रहा है | जब तुमने काम ही काँटों वाले और बुरे किए है , तो तुम्हें बबूल ही मिलेंगे , अच्छे काम , अच्छे काम कहाँ से मिलेंगे | हमें उसी हिसाब से फल मिलता है , जैसा कर्म करते है | हमें हमेशा सतगुरु के बताए हुए रास्तों पर चलना चाहिए और अच्छे कर्म करने चाहिए |
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कबीर साहेब की वाणी है की जीवात्मा जब बुरे काम करती है तो विचार नहीं करती है. वह बाद में पछतावा करती है लेकिन पछतावा करने से कोई लाभ नहीं होने वाला है. तुमने यदि बबूल के पेड़ को बोया है तो अब तुम आम का फल कहाँ से खाओगे. जो
व्यक्ति जैसे कर्म करता है वैसा ही फल उसे प्राप्त होता है. जीवन भर व्यक्ति स्वंय की लालसाओं और स्वार्थों की पिछे भागता फिरता है. कबीर साहेब ने कर्म प्रधानता पर बल दिया है, जैसे हमारे कर्म होंगे वैसे ही फल हमें प्राप्त होंगे. इसलिए साधक को चाहिए की वह सद्मार्ग पर चलते हुए नेक कार्य करे और हरी के नाम का सुमिरण करे. बगैर हरी नाम के सुमिरण के इश्वर की प्राप्ति संभव नहीं है.
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