Karm ke adhar par kriya ke kitne bhad hai or unke nam
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कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं।
(1) अकर्मक क्रिया
(2) सकर्मक क्रिया
(1) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं । ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती ।
अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण-
(i) गौरव रोता है ।
(ii) साँप रेंगता है ।
(iii) रेलगाड़ी चलती है ।
(2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं।
इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं ।
जैसे-
(i) भँवरा फूलों का रस पीता है ।
(ii) रमेश मिठाई खाता है ।
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Explanation:
कर्म के आधार पर क्रिया के दो भेद हैं।
(1) अकर्मक क्रिया
(2) सकर्मक क्रिया
(1) अकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं । ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती ।
अकर्मक क्रियाओं के उदाहरण-
(i) गौरव रोता है ।
(ii) साँप रेंगता है ।
(iii) रेलगाड़ी चलती है ।
(2) सकर्मक क्रिया-जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं।
इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं ।
जैसे-
(i) भँवरा फूलों का रस पीता है ।
(ii) रमेश मिठाई खाता है ।