Hindi, asked by paintsmedia3325, 1 year ago

Karn ki miritu kaise Hui

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Answered by ips420
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कर्ण की मृत्यु के सम्बन्ध में निम्नलिखित कारक गिनाए जा सकते हैं:
१. कर्ण की मृत्यु का सर्वप्रथम कारक तो स्वयं ऋषि दुर्वासा ही हैं। कुन्ती को यह वरदान देते समय की वह किसी भी देव का आह्वान करके उनसे सन्तान प्राप्त कर सकती है, इस वरदान के परिणाम के बारे में नहीं बताया। इसलिए, कुन्ती उत्सुकता वश सूर्यदेव का आह्वान करती है और यह ध्यान नहीं रखतीं की विवाहपूर्व इसके क्या परिणाम हो सकते हैं और वरदानानुसार सूर्यदेव कुन्ती को एक पुत्र देते हैं। लेकिन लोक-लाज के भय से कुन्ती इस शिशु को गंगाजी में बहा देतीं है। तब कर्ण, महाराज धृतराष्ट्र के सारथी अधिरथ और उनकी पत्नी राधा को मिलता है वे उसका लालन-पालन करते है और इस प्रकार कर्ण की क्षत्रिय पहचान निषेध कर दी जाती है। कर्ण, ना कि युधिष्ठिर या दुर्योधन, हस्तिनापुर के सिंहासन का वास्तविक अधिकारी था, लेकिन यह कभी हो ना सका क्योंकि उसका जन्म और पहचान गुप्त रखे गए।

२. देवराज इन्द्र जिन्होंने बिच्छू के रूप में कर्ण की क्षत्रिय पहचान उसके गुरु के सामने ला दी और अपनी पहचान के सम्बन्ध में अपने गुरु से मिथ्याभाषण के कारण (जिसके लिए कर्ण स्वयं दोषी नहीं था क्योंकि उसे स्वयं अपनी पहचान का ज्ञान नहीं था) उसके गुरु ने उसे सही समय पर उसका शस्त्रास्त्र ज्ञान भूल जाने का श्राप दे दिया।

३. गाय वाले ब्राह्मण का श्राप की जिस प्रकार उसने एक असहाय और निर्दोष पशु को मारा है उसी प्रकार वह भी तब मारा जाएगा जब वह सर्वाधिक असहाय होगा और उसका ध्यान अपने शत्रु से अलग किसी अन्य वस्तु पर होगा। इसी श्राप के कारण अर्जुन उसे तब मारता है जब उसके रथ का पहिया धरती में धँस जाता है और उसका ध्यान अपने रथ के पहिए को निकालने में लगा होता है।

४. धरती माता का श्राप की वह नियत समय पर उसके रथ के पहिए को खा जाएगीं और वह अपने शत्रुओं के सामने सर्वाधिक विवश हो जाएगा।

५. भिक्षुक के भेष में देवराज इन्द्र को, कर्ण द्वारा अपनी लोकप्रसिद्ध दानप्रियता के कारण अपने शरीर पर चिपके कवच कुण्डल दान में दे देना।

६. 'शक्ति अस्त्र' का घटोत्कच पर चलाना, जिसके कारण वह वचनानुसार दूसरी बार इस अस्त्र का उपयोग नहीं कर सकता था।

७. माता कुन्ती को दिए वचनानुसार 'नागास्त्र' का दूसरी बार प्रयोग ना करना। 
८. माता कुन्ती को दिए दो वचन। 
९. महाराज और कर्ण के सारथी पाण्डवों के मामा शल्य, जिन्होंने सत्रहवें दिन के युद्ध में अर्जुन की युद्ध कला की प्रशंसा करके कर्ण का मनोबल गिरा दिया।

१०. युद्ध से कुछ दिन पूर्व जब कर्ण को यह ज्ञात होता है कि पाण्डव उसके भाई हैं तो उनके प्रति उसकी सारी दुर्भावना समाप्त हो गई, पर दुर्योधन के प्रति निष्ठ होने के कारण वह पाण्डवों (अर्थात अपने भाईयों) के विरुद्ध लड़ा। जबकि कर्ण की मृत्यु होने तक पाण्डवों को यह नहीं पता था की कर्ण उनका ज्येष्ठ भाई है।

११. सूर्यदेव जो सत्रहवें दिन के युद्ध में तब अस्त हो गए जब कर्ण के पास अर्जुन को मारने का पूरा अवसर था।

१२. द्रौपदी का अपमान करना।

१३. श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को यह आदेश देना की वह कर्ण का वध करे जबकि वह अपने रथ के धँसे पहिए को निकाल रहा होता है।

१४. भीष्म पितामह, क्योंकि उन्होंने अपने सेनापतित्व में कर्ण को लड़ने की आज्ञा नहीं दी।



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Answered by ZaraAntisera
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Answer:

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Explanation:

कर्ण की मृत्यु युद्धभूमि में अर्जुन के बाण से हुई थी लेकिन उनकी मृत्यु का यह सिर्फ एक पहलू है। कर्ण की मृत्यु का एक और कारण भी था। यह घटना उन्हें परशुराम के आश्रम से निकालने के बाद की है। जब परशुराम को यह शक हुआ कि कर्ण क्षत्रिय हैं तो उन्होंने अपने इस शिष्य का आश्रम से निष्कासन कर दिया।

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