Karun ras ka udaharan
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14
hey............
#here is ur answer
###हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक
hope it's help ✌✌✌✌
#here is ur answer
###हाय राम कैसे झेलें हम अपनी लज्जा अपना शोक
गया हमारे ही हाथों से अपना राष्ट्र पिता परलोक
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kajal225:
Hello
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16
Hey friend!
Here is your Answer
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करुण रस - प्रिय वस्तु के नष्ट होने तथा अनिष्ट की प्राप्ति से चित्त में जो विकलता आती है, उसे करुण रस कहते हैं। जैसे-
राम राम कहि राम कहि, राम राम कहि राम।
तनु परिहरि रघुवर-विरह, राउ गएउ सुरधाम।।
अथवा
सब बंधुन को सोच तजि, तजि गुरुकुल को नेह।
हा सुशील सूत! किमी कियो अनंत लोक में गेह।।
या
अभी तो मुकुट बँधा था माथ ,
हुए ही थे कल हल्दी के हाथ ,
हाय रुक गया यह संसार ,
बना सिंदूर अंगार ।
☺☺☺☺☺☺☺
Here is your Answer
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करुण रस - प्रिय वस्तु के नष्ट होने तथा अनिष्ट की प्राप्ति से चित्त में जो विकलता आती है, उसे करुण रस कहते हैं। जैसे-
राम राम कहि राम कहि, राम राम कहि राम।
तनु परिहरि रघुवर-विरह, राउ गएउ सुरधाम।।
अथवा
सब बंधुन को सोच तजि, तजि गुरुकुल को नेह।
हा सुशील सूत! किमी कियो अनंत लोक में गेह।।
या
अभी तो मुकुट बँधा था माथ ,
हुए ही थे कल हल्दी के हाथ ,
हाय रुक गया यह संसार ,
बना सिंदूर अंगार ।
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