Karuna Shankar se Suraksha vishay par mitro ke bich samvad likhiye
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हर छोटे-बड़े, अमीर-गरीब के चेहरे पर लाली खिला देने वाला लाल गुलाब हवा और पानी के स्वास्थ्य और स्वच्छता का प्रतीक भी है। कहते हैं कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू अपनी अचकन में यह खूबसूरत फूल सजाते ही नहीं थे, दिल्ली स्थित तीनमूर्ति भवन के लॉन में फूलों की क्यारियों को सहलाने, सराहने और उनमें पानी डालने को भी तत्पर रहते थे।
इसी तीनमूर्ति भवन में स्थित प्लेनेटोरियम आज धरती और सौरमण्डल के रिश्तों और पर्यावरण की कहानी दुनिया-जहान को सुनाता है। साथ ही जगाता है जल, जंगल और जमीन के नाजुक रिश्तों के प्रति संवेदना। भारत के अन्तिम वायसराय लार्ड माउंटबेटन की पत्नी एडविना माउंटबेटन का 1960 में निधन हुआ तो प्रधानमंत्री नेहरू ने यहीं से गुलाब के फूलों का एक पूरा पोत भेजा था एडविना के प्रति संवेदना के प्रतीक स्वरूप।
यही सन 1960 वह मानक वर्ष है, जिसका हवाला देते हुए मौसम और पर्यावरण विषय से जुड़ी दुनिया की तमाम एजेंसियों ने समूची मानवता से अपील की है कि धरती माँ की गिरती सेहत का ध्यान रखो, ताकि तुम्हारे बच्चे और उन बच्चों के बच्चे भी सीख सकें खिलते गुलाबों संग हँसने का हुनर।